भारत ने दक्षिण लेबनान में तैनात संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों की सुरक्षा को लेकर चिंता व्यक्त की है. भारतीय सेना इस क्षेत्र में हिजबुल्लाह के ठिकानों पर हमला करने वाले इजरायली बलों की गोलीबारी की चपेट में आते-आते बचे हैं. 600 भारतीय सैनिक लेबनान में संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन का हिस्सा हैं और इजरायल-लेबनान सीमा पर 120 किलोमीटर की ब्लू लाइन पर तैनात हैं.
शुक्रवार को एक बयान में विदेश मंत्रालय ने कहा कि हम ब्लू लाइन पर बिगड़ती सुरक्षा स्थिति को लेकर चिंतित हैं. हम स्थिति पर बारीकी से नज़र रख रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र परिसर की अखंडता का सभी को सम्मान करना चाहिए और संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों की सुरक्षा और उनके जनादेश की पवित्रता सुनिश्चित करने के लिए उचित उपाय किए जाने चाहिए.
यह बयान लेबनान में संयुक्त राष्ट्र के ठिकानों पर इजरायली हमलों की बढ़ती अंतरराष्ट्रीय निंदा के बाद आया है , जहां लेबनान में संयुक्त राष्ट्र अंतरिम बल (यूएनआईएफआईएल) काम करता है. लेबनान के विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को रास नकुरा में यूनिफिल के मुख्य बेस और श्रीलंकाई बटालियन के बेस को इजरायल द्वारा टारगेट किए जाने की निंदा की, जिसमें कथित तौर पर कई शांति सैनिक घायल हो गए.
लेबनान के सरकारी मीडिया ने बताया कि इजरायली तोपखाने ने रास नक़ुरा में UNIFIL वॉचटावर और कमांड सेंटर के मुख्य प्रवेश द्वार को निशाना बनाया, जिससे नुकसान हुआ. कहा जाता है कि इज़रायली मर्कवा टैंक ने टायर और नक़ुरा के बीच मुख्य सड़क पर स्थित एक अन्य UN टावर को निशाना बनाया.
चीन ने हमले की निंदा की और जांच का आग्रह किया, जिसमें कहा गया कि शांति सैनिकों पर जानबूझकर किए गए हमले अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का उल्लंघन हैं. यूनिफिल में सैनिकों का प्रमुख योगदानकर्ता इटली ने सुझाव दिया कि इस तरह की कार्रवाई युद्ध अपराध की श्रेणी में आ सकती है, जबकि वाशिंगटन ने कहा कि वह गहरी चिंता में है.