PM Modi Lex Fridman Podcast: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में अमेरिकी वैज्ञानिक लेक्स फ्रिडमैन के साथ एक विशेष पॉडकास्ट में भाग लिया. इस दौरान फ्रिडमैन ने खुलासा किया कि उन्होंने इस महत्वपूर्ण बातचीत के सम्मान में 45 घंटे का उपवास रखा. उन्होंने कहा, ''मैं अभी उपवास कर रहा हूं. लगभग दो दिन, 45 घंटे हो गए हैं. केवल पानी लिया है, कोई भोजन नहीं. सही मानसिकता में आने और आध्यात्मिक रूप से जुड़ने के लिए.'' इस पर पीएम मोदी ने कहा, ''आपने मेरे सम्मान में उपवास रखा, इसके लिए मैं हृदय से आभार व्यक्त करता हूं.''
प्रधानमंत्री मोदी और उपवास का महत्व
बता दें कि पीएम मोदी ने इंद्रियों को तेज करने, मानसिक स्पष्टता बढ़ाने और आत्म-अनुशासन को मजबूत करने में उपवास के महत्व पर जोर दिया. उन्होंने कहा, ''उपवास केवल भोजन छोड़ने का नाम नहीं, बल्कि आंतरिक और बाहरी संतुलन स्थापित करने का साधन है. जब आप उपवास करते हैं, तो आपकी इंद्रियां विशेष रूप से गंध, स्पर्श और स्वाद अधिक संवेदनशील हो जाती हैं. यह सोचने की प्रक्रिया को भी तेज करता है और एक नया दृष्टिकोण देता है.''
व्हाइट हाउस में उपवास और ओबामा से मुलाकात
पीएम मोदी ने एक दिलचस्प किस्सा साझा किया जब वे अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा से व्हाइट हाउस में उपवास के दौरान मिले थे. उन्होंने बताया, ''रात्रिभोज के दौरान, किसी ने कहा कि प्रधानमंत्री को आमंत्रित किया जाए. लेकिन दूसरे ने जवाब दिया कि वे तो उपवास कर रहे हैं. इस पर ओबामा और अन्य मेहमान थोड़े असहज हो गए कि बिना भोजन के वे प्रधानमंत्री की मेजबानी कैसे करेंगे.''
इसके बाद, मोदी को गर्म पानी का गिलास परोसा गया. उन्होंने मजाक में कहा, ''देखिए, मेरा डिनर आ गया है!'' अगली बार जब मोदी जी ओबामा से मिले, तो ओबामा ने याद दिलाया, ''पिछली बार आप उपवास कर रहे थे, इस बार आपको दोगुना खाना पड़ेगा!'' बता दें कि पीएम मोदी ने बताया कि वे लंबे समय तक उपवास से पहले अपने शरीर को तैयार करते हैं. उन्होंने कहा, ''मैं उपवास से 5-7 दिन पहले विभिन्न आयुर्वेदिक और योगिक प्रथाओं का पालन करता हूं ताकि शरीर आंतरिक रूप से तैयार हो सके. उपवास शुरू करने से पहले मैं अधिक से अधिक पानी पीता हूं, जिससे विषहरण की प्रक्रिया पूरी होती है. मेरे लिए उपवास एक भक्ति का कार्य और आत्म-अनुशासन का माध्यम है.''
पहला उपवास और बचपन का अनुभव
बताते चले कि पीएम मोदी ने बताया कि उन्होंने पहली बार स्कूल के दिनों में गोरक्षा आंदोलन के दौरान उपवास रखा. उन्होंने कहा, ''उस समय, देशभर में लोग एक दिन के मौन उपवास में भाग ले रहे थे. मैं भी प्रेरित हुआ और उपवास रखा. आश्चर्य की बात यह थी कि इतनी कम उम्र में भी न तो भूख लगी और न ही थकान महसूस हुई. बल्कि, मेरे अंदर नई ऊर्जा और जागरूकता महसूस हुई. तभी मुझे एहसास हुआ कि उपवास केवल भोजन त्यागना नहीं, बल्कि इससे कहीं अधिक गहरा विज्ञान है.''