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India Daily

चीन ने बांटा इतना कर्ज कि बन गया इस देश का मालिक! ड्रैगन की Debt Diplomacy से टेंशन में दुनिया 

China Debt Policy: चीन ने सस्ती और रियायती दरों पर विकासशील देशों को 1 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा का कर्ज दिया है. विदेशी मामलों के जानकार इसे चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की नव-औपनिवेशिक नीति का हिस्सा बताते हैं. इसके तहत चीन पहले किसी देश को इतना कर्ज देता है कि वह उसके जाल में फंस जाता है. चीन बाद में इसी कर्ज को चुकाने के लिए उन देशों को बाध्य करता है. यदि कोई देश तय समयसीमा पर अपने कर्ज का भुगतान नहीं कर पाता है तो उसे अपने बुनियादी ढांचे वाली संपत्तियों को सौंपने के लिए मजबूर किया जाता है. दक्षिण एशियाई देश लाओस अब चीन के जाल में फंसता दिखाई दे रहा है.

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Edited By: Shubhank Agnihotri
China Debt Trap diplomacy
Courtesy: Social Media

China Debt Policy: चीन सचमुच अब एक देश का मालिक बन गया है! जी हां सच में यह हम नहीं बल्कि विशेषज्ञ कह रहे हैं.भूराजनीतिक मामलों के जानकारों का कहना है कि दुनिया में लाओस से ज्यादा कर्ज लेने वाला कोई दूसरा देश नहीं है. खास बात यह है कि दक्षिण-पूर्व एशिया का यह देश चीन की तरह साम्यवादी विचारधारा का समर्थन करता है. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, लाओस ने हाल ही में यह खुलासा किया कि उसका विदेशी कर्ज दोगुना हो गया है इससे बचने के लिए उसे और समय की जरूरत है. हालांकि इस बीच चीन ने कहा कि वह अपने पड़ोसी देश के कर्ज निपटारे में सहायता कर रहा है. 

रिपोर्ट के अनुसार, चीन से मिले भारी ऋण के कारण एशिया में बीजिंग के सबसे करीबी सहयोगी लाओस को भारी ऋण संकट में धकेल दिया है जिससे देश के भविष्य को लेकर चिंताएं पैदा हो गई हैं. लाओस के 10.5 बिलियन डॉलर के विदेशी कर्ज में आधे से ज्यादा कर्ज चीन का है. पिछले साल के अंत में इस छोटे से दक्षिण पूर्व एशियाई देश का पूरा सार्वजनिक और सार्वजनिक रूप से गारंटीकृत ऋण 13.8 बिलियन डॉलर था जो कि इसके सकल घरेलू उत्पाद का 108% था. लाओस के कर्ज को लेकर दुनियाभर के देश चिंतित हो गए हैं. कहा जा रहा है इसकी भी वही हालत ना हो जाए जो चीनी कर्ज के कारण श्रीलंका की हुई. 

लाओस के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट 

वर्ल्ड बैंक के आंकड़ों के मुताबिक, लाओस ने बीते साल  950 मिलियन अमेरिकी डॉलर विदेशी कर्ज का  670 मिलियन अमेरिकी डॉलर का मूलधन और ब्याज के रूप में भुगतान कर दिया. इससे उसे हालिया कुछ समय में राहत मिली है. लाओस के सरकारी ऋण का अधिकांश हिस्सा चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) प्रोजेक्ट के तहत लिया गया है. भारी कर्ज के कारण लाओस की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं क्योंकि चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के तहत सड़कों, ट्रेनों और पनबिजली बांधों के लिए राष्ट्रपति शी जिनपिंग की सरकार से अरबों डॉलर उधार लेने के कारण उसके विदेशी मुद्रा भंडार में भारी कमी आई है.

चीन ने किया मदद का वादा 

लाओस सरकार ने ऋण संकट को रोकने के लिए कई तरह  उपाय लागू किए हैं जिनमें ब्याज दरें बढ़ाना, बांड जारी करना और एशियाई विकास बैंक के साथ मिलकर ऋण प्रबंधन रणनीति विकसित करना शामिल है.  इसके अलावा स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा जैसी आवश्यकताओं पर खर्च कम हुआ है जो दीर्घकालिक तौर पर लोगों के लिए अच्छा संकेत नहीं हैं. हालांकि चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बीते दिनों कहा था कि वह लाओस जैसे देशों की कर्ज से निपटने में मदद की भरपूर कोशिश कर रहा है.  

बीजिंग की ऋण जाल कूटनीति

विदेशी मामलों के जानकारों का कहना है कि लाओस के कर्ज का बोझ कम करने के लिए चीन का बयान सच हो सकता है क्योंकि लाओस उन कुछ देशों में से एक है जहां BRI एक सफल प्रोजेक्ट साबित हुआ है. चीन इसे दुनियाभर में एक सक्सेलफुल मॉडल के रूप में प्रदर्शित करना चाहता है. एडडाटा रिसर्च लैब जो चीनी कर्ज पर नजर रखती है का कहना है कि दुनिया में लाओस ही एकमात्र देश है जिसने चीन से सबसे ज्यादा उधार लिया है. अब यही उधार उसके गले की फांस बन गया है. पश्चिमी देश चीन के इस तरह के कर्ज को ऋण जाल कूटनीति के नाम से संदर्भित करते हैं. 

चीन ने बांट रखा है इतना कर्ज 

हालांकि चीन ने लाओस का कर्ज माफ करने का संकेत दिया है, लेकिन बीजिंग के इस कदम से अन्य विकासशील देश जो चीन के कर्ज तले दबे हैं वह भी इसी तरह की रियायत की मांग कर सकते हैं. रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने विकासशील देशों को लगभग 1 ट्रिलियन डॉलर का ऋण दिया है. यह एक बहुत बड़ी रकम है जिसने चीन की वैश्विक स्थिति को काफी हद तक बदल दिया है. चीन को दुनिया का सबसे उदार कर्जदाता माना जाता है जो देशों को आसानी से ऋण मुहैया करा देता है. हालांकि बाद में ऋण हासिल करने की कीमत उस देश को चुकानी होती है. इसका सबसे हालिया उदाहरण हमारा पड़ोसी देश श्रीलंका है जो चीनी कर्ज की कीमत चुका रहा है.