India and UK Relation : ब्रिटेन में आम चुनाव संपन्न हो चुके हैं. ऋषि सुनक की कंजर्वेटिव पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा. लेबर पार्टी ने बड़ी जीत दर्ज करते हुए सत्ता में वापसी की है. लेबर पार्टी की जीत ने भारत को 1997 की याद दिला दी. तब हिंदुस्तान आजादी की 50वीं वर्षगांठ मना रहा था. यूके की कंजर्वेटिव पार्टी और भारत सरकार क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय को आजादी के जश्न में शामिल होने की योजना बना रही थी लेकिन मई में जॉन मेजर के नेतृत्व वाली कंजर्वेटिव सरकार टोनी ब्लेयर के नेतृत्व वाली लेबर पार्टी से हार गई. इधर भारत में इंद्र कुमार गुजराल की गठबंधन सरकार सत्ता में आई.
अक्तूबर में भारत पहुंचने से पहले क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय और उनके पति प्रिंस फिलिप पाकिस्तान में रुके. इस्लामाबाद में क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय ने बयान दिया था कि भारत और पाकिस्तान को कश्मीर के मसले को सुलझाने की जरूरत है. उस दौरान ब्रिटेन विदेश सचिव रॉबिन कुक ने भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर मसले पर मध्यस्थता करने के चक्कर में रिश्तों में और कड़वाहट ला दी थी. ब्रिटेन के कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता के प्रस्ताव की भारत ने कड़ी निंदा की थी तथा तत्कालीन PM आई.के. गुजराल ने ब्रिटेन को 'तीसरी दर्जे की शक्ति' करार दिया था.
भारत को 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता मिली. इस दौरान ब्रिटेन में लेबर पार्टी की ही सरकार थी. उस वक्त क्लेमेंट एटली ब्रिटेन के प्रधानमंत्री थे. वह इस पद पर 1945 से लेकर 1951 तक थे. क्लेमेंट एटली 1935 से लेकर 1955 तक लेबर पार्टी के लीडर रहे.
किएर स्टार्मर के नेतृत्व में लेबर पार्टी ने आम चुनाव में जोरदार जीत दर्ज की है. अब वह ऋषि सुनक की जगह लेंगे. उनके आने से भारत के रिश्ते में कड़वाहट आएगी या मधुरता ये तो जानेगें ही लेकिन उससे पहले ये जान लेते हैं कि 2019 में जब भारत सरकार ने कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त किया था तो लेबर पार्टी का क्या स्टैंड था.
जेरेमी कॉर्बिन के नेतृत्व में लेबर पार्टी ने 2019 में एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें "कश्मीर में अंतर्राष्ट्रीय हस्तक्षेप और संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व में जनमत संग्रह का आह्वान" का समर्थन किया गया था. जेरेमी कॉर्बिन के इस कदम से साफ था की वह भारत विरोधी और पाकिस्तान के पक्ष में हैं.
2019 के चुनाव में वोटरों ने लेबर पार्टी को मुंह का आईना दिखाते हुए कंजर्वेटिव पार्टी को समर्थन दिया था. चुनाव में हार के बाद, लेबर पार्टी के अध्यक्ष इयान लैवरी ने स्वीकार किया कि कश्मीर प्रस्ताव ने भारत और ब्रिटिश भारतीयों को नाराज किया. भारत ने इस प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया था.
जेरेमी कॉर्बिन के कश्मीर मुद्दे पर 2019 में पारित किए गए प्रस्ताव पर किएर स्टार्मर ने कहा था कि कश्मीर, भारत और पाकिस्तान का आपसी मसला है. इस मुद्दे पर बोलना सही नहीं रहेगा. हालांकि, उनका बयान काफी देर से आया था.
इस समय लेबर पार्टी की कमान किएर स्टार्मर के हाथ में है. उन्होंने वादा किया है कि वह भारत के साथ रिश्तों में मधुरता लाएंगे. उनके इस बयान से यह पता चल रहा है कि वह भारत विरोधी कदम उठाने से बचेंगे.
राजनीतिज्ञ विशेषज्ञों का भी यही मानना है कि किएर स्टार्मर के शासनकाल में भारत और ब्रिटेन के रिश्ते सुधरेंगे. दोनों देशों के बीच संबंध खूब फले-फूंलेंगे.
इस बार लेबर पार्टी में भारतीय मूल के सांसदों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है. पिछले सत्र में लेबर पार्टी में भारतीय मूल के 6 सांसद थे.
हालांकि, कई विशेषज्ञों यह भी कह रहे हैं कि भारत और ब्रिटेन के रिश्तों में आगे का सफर उतार-चढ़ाव भरा हो सकता है.
लंदन स्थित थिंक टैंक चैटम हाउस के क्षितिज वाजपेयी ने बताया कि लेबर पार्टी के दौरान भारत और ब्रिटेन के बीच ऐसे कई मसले अभी दबे हैं अगर उन मामलों पर गौर किया गया तो रिश्तों में कड़वाहट आ सकती है.
ब्रिटेन में भारतीय मूल के 15 लाख तो पाकिस्तानी मूल के 12 लाख लोग रहते हैं. लंदन में ऐसे संगठन भी हैं जो भारत भारत विरोधी हैं. इन सब चीजों को लेबर पार्टी देखकर सरकार चलाएगी.
लेबर पार्टी के प्रमुख किएर स्टार्मर ने भारत के साथ नए सिरे से अच्छे संबंध स्थापित करने के लिए कई प्रयास किए हैं. अगर वह अपनी नीति पर कायम रहे तो दोनों देशों के बीच में मधुरता आएगा. वहीं, इससे पहले जब जर्मी कोर्बिन लेबर पार्टी के नेता थे तब भारत के साथ उनके संबंध खटास भरे थे.
किएर स्टार्मर और लेबर पार्टी के कई बड़े नेताओं ने चुनावी कैंपेन में जैसे बयान दिए उसके अनुसार यह लग रहा है कि लेबर पार्टी की सरकार भारत के साथ अच्छे रिश्ते बनाने पर जोर देगी.
भारत और ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौता होना है. व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर करना किएर स्टार्मर की सबसे बड़ी प्राथमिकता होगी.
ब्रिटेन के संभावित विदेश मंत्री डेविड लैमी ने यह संकेत दिया है कि वह जल्द ही भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते को पूरा करेंगे. जुलाई के अंत तक ड्रेविड भारत की यात्रा भी कर सकते हैं. मुक्त व्यापार समझौते के तहत अब तक दोनों देशों के बीच लगभग 26 बिंदुओं पर सहमति बन चुकी है.