अपनी माटी, अपना देश और परिवार छोड़कर लोग विदेश में रोजी रोटी के इंतजाम में जाते हैं. क्या हो अगर इसकी कीमत जान देकर चुकानी पड़ जाए. कुवैत में काम कर रहे 40 हिंदुस्तानियों के साथ ऐसा ही हुआ है. कोई अपनी बेटी की पढ़ाई के लिए घर लौटने वाला था, किसी ने शादी का सपना देखा था. एक झटके में आग में जिंदा जले और सब खत्म हो गया. कुवैत में हुए इस हादसे ने देशभर को रुला कर रख दिया है.
हादसे में मरने वालों की जो कहानियां सामने आ रही हैं, उन्हें सुनकर आपकी भी आंखें छलक जाएंगी. इंडियन एक्सप्रेस ने मारे गए कुछ लोगों के परिवारों से बात की है. केरल के रहने वाले एक मैकेनिक की कहानी कुछ ऐसी ही है. वे 18 साल पहले कुवैत गए थे. उन्होंने मेहनत की और सुपरवाइजर बन गए. वे इलेक्ट्रीशियन थे लेकिन उन्होंने एकाउंटेंसी सीख ली थी. 48 साल के वडक्कोट्टुविलायिल लुकोस ने कभी सोचा नहीं था कि 18 साल के इंतजार का हश्र ये होगा.
वे NBTC ग्रुप में सुपरवाइजर थे. इस कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर केरल के व्यवसायी के जी अब्राहम हैं. लुकोस कोल्लम के आदिचनल्लूर पंचायत से हैं. उनके परिवार से जुड़े एक शख्स ने बताया, 'उन्हें अपनी सबसे बड़ी बेटी लिडिया के कॉलेज एडमिशन के लिए अगले महीने घर आना था. बेटी ने ए-प्लस के साथ 12वीं क्लास पास की थी.' अब उनके परिवार में उनकी पत्नी शाइनी और दो बेटियां बची हैं. लोया 5वीं क्लास में पढ़ती है, वहीं लिडिया 12वीं पास की है.
हादसे में के रंजीत की भी मौत हो गई है. 33 साल का यह नौजवान, एनबीटीसी में अकाउंटेंट था. के रंजीत के एक दोस्त ने कहा, 'रंजीत चेरकला का रहने वाला है. वह छुट्टी पर था, घर जाने वाला था. लेबर कैंप में रह रहा था. उसका टिकट कन्फर्म नहीं हुआ था. रंजीत की शादी नहीं हुई थी. वह शादी करने वाला था. वह बीते 10 साल से कुवैत में था. वह इलेक्ट्रीशियन था. वह पहले कैटरिंग में काम करता था लेकिन मेहनत करके वह अकाउंटेंट बन गया था. वह दो साल पहले अपने घर लौटा था, जब नया घर बनकर तैयार हो गया था.' रंजीत के पिता रवींद्रन और मां रुग्मणी हैं. उनके दो भाई हैं, जिनका इंतजार कभी पूरा नहीं होगा. शादी का सपना, सपना रह गया.
शमीर उमरुद्दीन की उम्र 30 साल है, वे भी हादसे में जलकर मर गए. वे कोल्लम के रहने वाले हैं और एनबीटीसी ग्रुप में ड्राइवर थे. उनके रिश्तेदारों का कहना है कि वे 5 साल से वहां काम कर रहे थे. वह कोल्लम में भी ड्राइवर थे. 8 महीने पहले ही घर आए थे. उनकी पत्नी सुरुमी हैं. उनके तीन बच्चे हैं, तीन साल पहले ही शादी हुई थी. अब मां-बाप-बीवी और बच्चे, हमेशा इंतजार करते रहेंगे लेकिन लौटेगी सिर्फ उनकी लाश.
कुवैत हादसे में कुल 49 लोगों की मौत हुई है, जिनमें से 40 भारतीय हैं. मरने वालों में ज्यादातर की उम्र 20 से 50 साल के बीच है. सब एक प्राइवेट कंपनी में काम करते थे. एक बिल्डिंग में 195 से ज्यादा मजदूर रहते थे, वहां आग लगी और 49 लोग जलकर राख हो गए.