Putin Visit to Islamic Countries: रूसी राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन अक्टूबर माह में की गई चीन की यात्रा के बाद अब इस्लामिक देशों की यात्रा पर जाएंगे. पुतिन की इस यात्रा को अमेरिका और यूरोपीय देशों को जवाब के तौर पर देखा जा रहा है. रूसी राष्ट्रपति की इस यात्रा से अमेरिका की उन तमाम कोशिशों को बड़ा झटका लग सकता है जिसमें वह रूस पर तमाम प्रतिबंधों और उसे अलग-थलग करने की कोशिशों में जुटा है. क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव के अनुसार, पुतिन बुधवार को सऊदी अरब और यूएई जैसे देशों का दौरा करेंगे. इस मौके पर वे राष्ट्राध्यक्षों के साथ तेल बाजार और इजरायल फिलिस्तीन विवाद पर चर्चा कर सकते हैं. इसके अलावा वह रूस के लिए समर्थन जुटाने की भी कोशिश करेंगे.
आपको बता दें कि पिछले महीने ही अरब देशों ने चीन में आयोजित दो दिवसीय कार्यक्रमों में शिरकत की थी. इन देशों में सऊदी अरब, इजिप्ट, जॉर्डन और फिलिस्तीन शामिल थे. चीन में हुई इस बैठक के दौरान फिलिस्तीन के प्रति समर्थन जाहिर किया गया था. पुतिन ने अक्टूबर माह में चीन के बीआई प्रोजेक्ट के दस साल पूरा होने के अवसर पर वहां की यात्रा की थी. चीन और रूस एक-दूसरे के सहयोगी माने जाते हैं.
यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद दुनिया के कई मुल्क रूस के खिलाफ हो गए हैं. इस दौरान अमेरिका और यूरोपीय देशों ने उस पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए हैं. उसके अलावा अमेरिका और पश्चिमी देशों के द्वारा अलग-थलग करने की कोशिशें की गई हैं. वहीं, व्हाइट हाउस ने अपनी चेतावनी में कहा है कि कांग्रेस से नए पैकेज की घोषणा के बिना यूक्रेन को सहायता करना मुश्किल होता जा रहा है. बता दें कि बीते कुछ समय से पुतिन ने विदेश यात्राएं नहीं की हैं. खासतौर पर इंटरनेशनल क्राइम कोर्ट के गिरफ्तारी वारंट के बाद वह कुछ ही देशों की यात्रा पर गए हैं.
पुतिन की यह यात्रा पिछले हफ्ते ओपेक देशों की बैठक के बाद हुई है. इस बैठक में ओपेक देशों ने तय किया कि वे 2.2 मिलियन बैरल तेल का उत्पादन प्रति दिन कम करेंगे जिससे कि वैश्विक तेल बाजार में तेल उत्पादन को स्थिर किया जा सके. पुतिन की इस्लामिक देशों की यात्रा का मकसद अमेरिका और उसके सहयोगियों को यह संदेश देना है कि वह चाहें उस पर कितनी भी पाबंदियां क्यों न लगा लें वह डरेगा नहीं. खाड़ी देशों की यात्रा का उद्देश्य उन्हें साधना है.