क्रेमलिन के एक अंदरूनी सूत्र ने दावा किया है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा रूस को "अपरंपरिक" रियायतें देने से उसे ब्रुसेल्स, पेरिस या यहां तक कि लंदन पर हमला करने की पूरी छूट मिल सकती है. दरअसल, हाल ही में यूएस और रूस के नेताओं के बीच हुई शांति वार्ता के दौरान, ट्रंप प्रशासन ने कथित तौर पर यूक्रेन के रूस-आधिकारिक क्षेत्रों को पुनः प्राप्त करने के विचार को नकार दिया.
ट्रंप प्रशासन की क्या है नयी रणनीति!
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, यह बयान यूक्रेनी और उनके सहयोगियों के लिए चिंताजनक था, जबकि रूस मीडिया ने इसका स्वागत किया है. विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का ओवल ऑफिस में वापस आना अमेरिकी सहायता में कटौती के संकेत दे सकता है, लेकिन ट्रंप के रूस के साथ मित्रता की गति ने कई लोगों को चौंका दिया है.
रूस में खुशी का माहौल
रूसी कार्यक्रम "द ईवेनिंग विद व्लादिमीर सोलोव्योव" के प्रसारण में मॉसफिल्म के जनरल डायरेक्टर करेन शख्नजारोव ने बताया कि दुनिया के नेताओं के बीच हुई बातचीत को सकारात्मक रूप में देखा जा सकता है. उन्होंने कहा, "संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति ने रूस के राष्ट्रपति को फोन किया। यह अकेले में एक बड़ी सफलता है!"
शख्नजारोव ने इसे ऐतिहासिक मानते हुए कहा, "ब्लॉक अब टूट चुका है. इसका मतलब यह है कि पश्चिमी दुनिया की सबसे ताकतवर ताकत, जैसे रोमन साम्राज्य ने रूस से संपर्क किया. यह ऐसा था जैसे जूलियस सीजर ने खुद किसी जर्मन जनजाति के प्रमुख से बात की हो.
नाटो के आर्टिकल 5 पर उठे सवाल
डिफेंस सचिव पीट हेगसेथ ने भी इस बयान को और बढ़ावा देते हुए कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका नाटो के आर्टिकल 5 को नजरअंदाज करने का इरादा रखता है, अगर यूरोप रूस से सैन्य रूप से जुड़ता है. चूंकि, नाटो की वेबसाइट के अनुसार: "आर्टिकल 5 के तहत यदि नाटो का कोई सहयोगी किसी सशस्त्र हमले का शिकार होता है, तो बाकी सभी सदस्य देशों को इसे सभी के खिलाफ हमले के रूप में देखना होगा और मदद करने के लिए जरूरी कदम उठाने होंगे.
यूरोप के लिए चेतावनी
राजनीतिक वैज्ञानिक सर्गेई मिखेयेव ने कहा, "अब हमें यूरोपियों को स्पष्ट रूप से बताना चाहिए कि अब हम ब्रुसेल्स, लंदन या पेरिस पर हमला कर सकते हैं, क्योंकि आर्टिकल 5 को भूल सकते हैं. आप यह उम्मीद न करें कि अमेरिकियों ने आपके पक्ष में कदम उठाया है.