पृथ्वी पर सैटेलाइट्स का कब्रिस्तान; जानें क्या है Point Nemo, जहां दफन होते हैं स्पेस स्टेशन

प्वाइंट नीमो में अब तक 300 से अधिक सैटेलाइट्स को और अंतरिक्ष स्टेशनों को डंप किया जा चुका है. अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी NASA ने हाल में कहा था कि वो अपने इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) को भी प्वाइंट नीमो में ही डंप करेगा.

Om Pratap

know about satellite graveyard on earth: दुनिया के कई ऐसे देश हैं, जो अंतरिक्ष में अपने सैटेलाइट्स भेजते हैं. इन सैटेलाइट्स की एक निश्चित उम्र होती है. सवाल ये कि जब ये सैटेलाइट्स अपनी उम्र पूरी कर लेते हैं, तो इनका क्या होता है, इन्हें कहां डंप किया जाता है. आपको जानकार हैरानी होगी कि धरती पर एक जगह है, जिसे सैटेलाइट्स का कब्रिस्तान कहा जाता है. 

सैटेलाइट्स के अलावा कुछ देशों का अंतरिक्ष स्टेशन भी होता है, जिसकी भी निश्चित उम्र होती है. इनकी उम्र पूरी होने के बाद भी इन्हें वहीं डंप किया जात है, जहां सैटेलाइट्स को गिराया जाता है. जहां इन्हें गिराया या डंप किया जाता है, वो बिलकुल अनोखी जगह है. वहां से जमीन की दूरी करीब 2700 किलोमीटर है, यानी जहां सैटेलाइट्स को डंप किया जाता है. पहली बार 1992 में सर्वेक्षण इंजीनियर ह्रवोजे लुकाटेला ने प्वाइंट नीमो को खोजा था।

कहां है सैटेलाइट्स का कब्रिस्तान, क्या है नाम?

धरती पर जहां सैटेलाइट्स और अंतरिक्ष स्टेशन को डंप किया जाता है, उसे प्वाइंट नीमो के नाम से जाना जाता है. प्वाइंट नीमो प्रशांत महासागर के बिलकुल सेंटर में स्थित है. प्वाइंट नीमो को पोल ऑफ इनएक्सेसबिलिटी के नाम से भी जाना जाता है. प्वाइंट नीमो की औसत गहराई 13,000 फीट (4,000 मीटर) से अधिक बताई जाती है.

2031 में NASA का इंटरनेशनल स्पेस सेंटर यहां होगा डंप

जानकारी के मुताबिक, ये इतना गहरा है कि यहां अब तक 300 से अधिक सैटेलाइट्स को और अंतरिक्ष स्टेशनों को डंप किया जा चुका है. अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी NASA ने हाल में कहा था कि वो अपने इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) को भी प्वाइंट नीमो में ही डंप करेगा. बता दें कि नासा का इंटरनेशनल स्पेस सेंटर 1998 में अंतरिक्ष में स्थापित किया गया था. 2031 तक नासा का इंटरनेशनल स्पेस सेंटर रिटायर हो जाएगा, जिसके बाद 357 फीट लंबे और 4 लाख 19 हजार 725 किलोग्राम वजन वाले स्पेस सेंटर को प्वाइंट नीमो में डंप किया जाएगा.