दुश्मन के ड्रोन को अपना समझा... जॉर्डन में ड्रोन से आतंकी हमले में 3 अमेरिकी सैनिकों की मौत
हमले के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि हम उन सभी जिम्मेदार लोगों को एक समय पर और अपनी पसंद के तरीके से जवाब देंगे. पेंटागन जवाबी हमला करने के तरीकों की खोज कर रहा है और कथित तौर पर जवाबी हमले कुछ दिनों के भीतर शुरू हो जाएंगे.
jordan drone attack latest updates: जॉर्डन में अमेरिकी ठिकाने पर ड्रोन से किए गए आतंकी हमले की प्रारंभिक जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. बताया जा रहा है कि आतंकियों के ड्रोन को अमेरिकी सैनिकों ने अपना ड्रोन समझ लिया और उसे मार गिराने की कोई कोशिश नहीं की. इसी दौरान ड्रोन से किए गए हमले में अमेरिका के तीन सैनिकों की मौत हो गई, जबकि 40 कर्मी घायल हो गए. बता दें कि रविवार को ईरानी आतंकी समूह इस्लामिक रेसिस्टेंस की ओर से सीरिया में मौजूद अमेरिकी सैनिकों के सैन्य अड्डे पर ड्रोन से अटैक किया गया था.
आतंकी संगठन की ओर से जिस सैन्य अड्डे पर ड्रोन से हमला किया गया है, वो सैन्य अड्डा सीरिया में अमेरिकी सैनिकों के लिए एक महत्वपूर्ण सेंटर हैं, जहां खाने पीने का सामान रखा जाता है. अमेरिकी सैनिकों के इस अड्डे को टावर 22 सेना चौकी नाम से जाना जाता है, जो पूर्वोत्तर जॉर्डन में है. दरअसल, सैन्य अड्डे पर आतंकी हमले के बाद सवाल उठा कि आखिर जॉर्डन में अमेरिकी सैनिकों के बेस पर करीब 350 सैनिक मौजूद हैं, इसके बावजूद उनकी नजर आतंकियों के ड्रोन पर क्यों नहीं पड़ी?
प्रारंभिक जांच में सामने आए चौंकाने वाले फैक्ट्स
रविवार को हुए ड्रोन अटैक मामले की जांच शुरू की गई तो सामने आया कि हो सकता है कि अमेरिकी सेना ने दुश्मन के ड्रोन को अमेरिकी ड्रोन समझ लिया हो, जिससे आतंकियों का ड्रोन सैन्य अड्डे के अंदर पहुंच गया और हमला कर दिया. वे बिना किसी चुनौती के जॉर्डन के टावर 22 बेस में घुस गया, जहां उसने तीन सैनिकों को मार डाला. जांच में सामने आया कि पूर्वोत्तर जॉर्डन में टावर 22 अमेरिकी सेना चौकी पर तैनात सैनिकों ने शायद दुश्मन के ड्रोन को गलती से अमेरिकी यानी अपना ड्रोन समझ लिया होगा.
अधिकारियों ने प्राथमिक जांच विवरण का हवाला देते हुए कहा कि जिस वक्त दुश्मनों ने ड्रोन से हमला किया, उसी दौरान उनका एक ड्रोन बेस पर लौटने वाला था. जांच में ये भी सामने आया कि ईरानी आतंकवादी समूह, इस्लामिक रेसिस्टेंस की ओर से लॉन्च किया गया ड्रोन कम ऊंचाई पर उड़ रहा था. उसी दौरान एक अमेरिकी ड्रोन भी सेना चौकी पर लौट रहा था. अधिकारियों ने समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस को बताया कि सैनिकों ने सोचा कि ड्रोन उनका अपना था और इसलिए चौकी पर हमला करने वाले दुश्मन के ड्रोन को मार गिराने का कोई प्रयास नहीं किया गया.
जो बाइडेन ने जवाबी कार्रवाई की दी चेतावनी
बता दें कि 7 अक्टूबर को इजराइल-हमास संघर्ष शुरू होने के बाद से मध्य पूर्व में अमेरिकी सेना के खिलाफ ये सबसे बड़ी कार्रवाई है. उधर, हमले के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि हम उन सभी जिम्मेदार लोगों को एक समय पर और अपनी पसंद के तरीके से जवाब देंगे. पेंटागन जवाबी हमला करने के तरीकों की खोज कर रहा है और कथित तौर पर जवाबी हमले कुछ दिनों के भीतर शुरू हो जाएंगे. इस बीच, ईरान ने आतंकवादियों के साथ किसी भी तरह के संबंध होने के आरोपों को खारिज कर दिया है और कहा है कि वे इस्लामिक रिपब्लिक से आदेश नहीं लेते हैं.
वहीं, पेंटागन के सूत्रों के अनुसार, राष्ट्रपति की हरी झंडी मिलते ही जवाबी कार्रवाई शुरू हो जाएगी. कहा जा रहा है कि रविवार को अमेरिकी सैनिकों को निशाना बनाए जाने के बाद से अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन पर ईरान के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का राजनीतिक दबाव बढ़ रहा है.