जापान की एक स्पेस स्टार्टअप कंपनी का रॉकेट बुधवार को लॉन्च के कुछ ही मिनटों बाद विफल हो गया, जिससे कंपनी और निवेशकों के लिए एक बड़ा झटका लगा. टोक्यो स्थित स्पेस वन द्वारा काइरोस नंबर 2 रॉकेट को कक्षा में उपग्रह भेजने के लिए लॉन्च किया गया था, लेकिन यह लॉन्च होते ही असफल हो गया और कुछ ही समय में फट गया. इस दुर्घटना का भयानक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिसमें रॉकेट के विफलता के कारण करोड़ों की लागत का नुकसान हुआ है.
स्पेस वन की विफल लॉन्चिंग
最後の黒煙あたりで飛行中断の措置を取ったのかな。残念。 pic.twitter.com/fZC0BxN3mS
— イエイネット トレンドアンテナ (@eyay_net) December 18, 2024
रॉकेट ने उड़ान भरी और लगभग 10 मिनट तक उड़ान भरने के बाद मिशन को रद्द कर दिया गया. स्पेस वन ने कहा कि रॉकेट के मिशन को पूरा करना मुश्किल हो गया था. हालांकि, उड़ान विफलता के कारण का तत्काल पता नहीं चल पाया, लेकिन सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में देखा गया कि रॉकेट ने किकी स्पेसपोर्ट से उड़ान भरने के बाद अपनी दिशा खो दी और अस्थिर हो गया.
Japan's Space One Kairos rocket fails minutes after liftoff
— AstroNana (@ImAstroNana) December 18, 2024
Japan's SpaceOne terminated the flight of its Kairos small rocket shortly after liftoff on Wed, marking the end of its second attempt in nine months to become the country's first company to deliver a satellite to space. pic.twitter.com/s8BZYQa8Fi
रॉकेट की विफलता और उपग्रहों का नुकसान
इस दुर्घटना में शामिल पांच उपग्रहों में एक ताइवान स्पेस एजेंसी का उपग्रह भी था, जो पृथ्वी से लगभग 500 किलोमीटर ऊपर सूरज-समान कक्षा में भेजा जाना था. हालांकि, रॉकेट की विफलता के कारण ये उपग्रह अपने निर्धारित लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाए. यह न केवल जापान की स्पेस इंडस्ट्री के लिए एक बड़ा झटका है, बल्कि इससे जुड़े निवेशकों और शोधकर्ताओं के लिए भी निराशा का कारण बना है.
स्पेस वन की भविष्यवाणी और पहले की विफलता
स्पेस वन की यह दुर्घटना कंपनी के लिए दूसरा बड़ा झटका था, क्योंकि इससे पहले मार्च में उनकी पहली काइरोस रॉकेट उड़ान भी विफल हो गई थी. उस वक्त रॉकेट में तकनीकी गड़बड़ी के कारण वह मात्र पांच सेकंड में फट गया था. हालांकि, कंपनी ने कहा था कि इस दुर्घटना के बाद उन्होंने रॉकेट की प्रणाली को ठीक कर लिया था.
स्पेस वन का उद्देश्य जापान की स्पेस इंडस्ट्री को एक नई दिशा देने का है और कंपनी ने 2029 तक साल में 20 छोटे रॉकेट लॉन्च करने का लक्ष्य रखा है. कंपनी के सह-संस्थापक में कैनन इलेक्ट्रॉनिक्स, आईएचआई एयरोस्पेस यूनिट, शिमिजू कंस्ट्रक्शन फर्म और एक राज्य-समर्थित बैंक शामिल हैं. इस मिशन का उद्देश्य एशिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को अंतरिक्ष उद्योग में विश्व के प्रमुख देशों के साथ प्रतिस्पर्धा करने में मदद करना है.
भविष्य की संभावनाएं
स्पेस वन की यह विफलता निश्चित रूप से जापान की स्पेस इंडस्ट्री के लिए एक कठिन चुनौती है, लेकिन इसके साथ ही यह महत्वपूर्ण सीख भी प्रदान करती है. रॉकेट विज्ञान में न सिर्फ तकनीकी चुनौतियाँ होती हैं, बल्कि ऐसे मिशनों में जोखिम हमेशा बना रहता है. स्पेस वन को उम्मीद है कि वह अपनी पिछली विफलताओं से सीखकर अगले प्रयास में सफलता हासिल करेगा और जापान को एक मजबूत स्पेस पावर बना सकेगा.