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India Daily

जापान के ओफुनाटो में फैली जंगली आग, हजारों लोग घर छोड़कर भागे, घर जलकर हुए स्वाहा, वीडियो में देखें तांडव

जापान के ओफुनाटो में स्थिति अभी भी गंभीर बनी हुई है. ऐसे में आग पर काबू पाने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन लगातार जारी हैं. फिलहाल अधिकारियों की कोशिशें इस आग को नियंत्रित करने और आगे की तबाही को रोकने की हैं.

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Edited By: Mayank Tiwari
जापान के ओफुनाटो स्थित जंगलों में लगी भीषण आग
Courtesy: Social Media

जापान के उत्तर-पूर्वी तटीय शहर ओफुनाटो में भीषण वन आग ने कई घरों को नष्ट कर दिया है. ऐसे में हजारों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए मजबूर किया है. बता दें कि, यह आग पिछले बुधवार से फैलना शुरू हुई थी और अब तक लगभग 2,600 हेक्टेयर (6,400 एकड़) क्षेत्र में फैल चुकी है. यह जापान की सबसे बड़ी जंगलों में लगी आग बन चुकी है, जोकि 1975 में होक्काइदो के कुशिरो में लगी आग से भी बड़ी है, जब 2,700 हेक्टेयर का क्षेत्र जल गया था.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकारियों ने करीब 4,600 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने की सलाह दी है, जिनमें से लगभग 3,939 लोग पहले ही शरण ले चुके हैं. हालांकि, अब तक आग में कम से कम 84 घरों का नुकसान हुआ है, और कई अन्य इमारतें भी खतरे में हैं. फिलहाल, आग बुझाने की कोशिशों में जुटे दमकलकर्मियों को आग पर काबू पाने में कठिनाइयां आ रही हैं, क्योंकि तेज हवाओं और शुष्क मौसम के कारण आग और फैल रही है.

आग पर काबू पाने के लिए कोशिशें जारी

जापान के कई इलाकों, खासकर राजधानी टोक्यो से 2,000 से ज्यादा फायर बिग्रेड के कर्मचारी और सैनिकों को तैनात किया गया है. इसके साथ ही हेलीकॉप्टरों की मदद से पानी की बौछार की जा रही है, लेकिन खराब मौसम और तेज हवाओं के कारण रेस्क्यू ऑपरेशन के कामों में रुकावट आ रही है. साथ ही शहर में बर्फबारी की उम्मीद जताई जा रही है, इसके बाद बारिश भी हो सकती है, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि यह आग को बुझाने में कितनी मददगार होगी, यह अभी तक साफ नहीं है.

आग का कारण और जलवायु परिवर्तन का प्रभाव

इस आग की शुरुआत क्षेत्र में हुई रिकॉर्ड-तोड़ सूखा और बारिश की कमी के कारण हुई. फरवरी में ओफुनाटो में केवल 2.5 मिमी बारिश हुई, जो कि सामान्य औसत 41 मिमी से काफी कम है. इस सर्दी में क्षेत्र में 1946 के बाद सबसे कम बारिश हुई है. ऐसे में विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन जैसे जटिल कारणों से सूखा और वन आग जैसी चरम जलवायु घटनाएं हो सकती हैं.

आग की वजह से कारोबार पर पड़ा असर

कई कंपनियों ने इस आग से प्रभावित होकर अपने कामों को रोक दिया है. ताइहेइयो सीमेंट ने अपनी ओफुनाटो प्लांट को कुछ दिनों के लिए बंद कर दिया है, क्योंकि इसका हिस्सा सुरक्षा क्षेत्र में है. इसी तरह, साइटोसेका कंफेक्शनरी कंपनी ने भी चिंता जताई है, क्योंकि अगर उसके मुख्यालय या संयंत्रों तक पहुंच नहीं हो पाई, तो उत्पादन रोकना पड़ सकता है.

इधर, जापानी बेसबॉल स्टार रोकी सासाकी ने विस्थापितों की मदद के लिए 10 मिलियन येन (67,000 डॉलर) और 500 सेट बिस्तर दान किए हैं. सासाकी, जो ओफुनाटो के हाई स्कूल में पढ़े थे, उन्होंने 2011 की सुनामी में अपने पिता और दादी-दादा को खो दिया था.

क्या जापान के जंगलों आग लगना आम बात हैं?

हालांकि, जापान में 1970 के दशक से जंगलों आग की संख्या में कमी आई है, फिर भी 2023 में यहां लगभग 1,300 जंगल आग के शिकार हुए, जिनमें से ज्यादातर फरवरी से अप्रैल के बीच हुईं, जब सूखा और तेज हवाओं के कारण आग का खतरा बढ़ जाता है.