जेल में बंद पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने रविवार (9 फरवरी) को जेल से सेना प्रमुख असीम मुनीर को एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने सेना की गैरकानूनी कार्रवाइयों और राजनीति में उसकी भागीदारी की आलोचना की. यह पत्र इमरान खान ने एक साल से अधिक समय से रावलपिंडी की अडियाला जेल में रहते हुए लिखा गया हैय
संविधान की सीमाओं में लौटने की अपील
इस दौरान पूर्व पीएम इमरान खान ने पत्र में सेना से यह अपील की कि वह अपनी संवैधानिक सीमाओं में लौटे. उनका यह पत्र राजनीति में सेना की बढ़ती भूमिका और इसके दुष्प्रभावों को लेकर था. हालांकि, इससे पहले, 3 फरवरी को भी इमरान खान ने सेना से राष्ट्रीय सुरक्षा और शासन के प्रति अपने दृष्टिकोण पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया था.
पत्र के बाद की प्रतिक्रिया
इमरान खान ने पत्र में जेल में दुर्व्यवहार का आरोप लगाया और कहा कि उनकी चिंताएं सेना और जनता के बीच बढ़ती खाई के खतरनाक परिणामों से संबंधित हैं. उन्होंने यह भी दावा किया कि उनके पहले पत्र की प्रतिक्रिया नकारात्मक और गैर-जिम्मेदाराना थी.
छह प्रमुख बिंदुओं पर इमरान खान की चिंता
इमरान खान ने अपने पत्र में छह प्रमुख बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित किया, जिन्होंने लोगों और सेना के बीच खाई को बढ़ाया. इन बिंदुओं में खुफिया एजेंसियों द्वारा चुनावी धांधली, न्यायपालिका पर नियंत्रण, असहमति को दबाने के लिए कठोर कानूनों का लागू किया जाना और पीईसीए अधिनियम में संशोधन जैसे मुद्दे शामिल हैं.
आर्थिक अस्थिरता पर इमरान खान की चिंता
पूर्व पीएम इमरान खान ने यह भी कहा कि राजनीतिक अस्थिरता और गलत नीतियों के कारण पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था अराजकता में फंस चुकी है. उन्होंने अफसोस जताया कि देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी को निशाना बनाया जा रहा है. इसके साथ ही सभी राज्य संस्थाओं का इस्तेमाल राजनीतिक उद्देश्यों के लिए किया जा रहा है.
सेना को अपने कामों पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता
इमरान खान ने इस पत्र के माध्यम से सेना से एक बार फिर अपनी राजनीतिक भूमिका पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया. इसके साथ ही पाकिस्तानी सेना से संविधान के दायरे में रहने की भी अपील की है.