Italy Exits BRI: दुनिया के तमाम देशों को अपने कर्ज की जाल में फंसा चुके चीन को तगड़ा झटका लगा है. यूरोपीय देश इटली ने चीनी राष्ट्रपति के ड्रीम प्रोजेक्ट बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव ( BRI) से औपचारिक रूप से बाहर निकलने का ऐलान कर दिया है. इटली का इससे बाहर जाना चीन के लिए एक बड़े झटके के रूप में देखा जा रहा है. चाइना के प्रेसिडेंट इस शी इस योजना के कायाकल्प को लेकर कड़ी मशक्कत कर रहे हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, इटली ने चार साल पहले बीआरआई प्रोजेक्ट में शामिल होने को लेकर समझौता किया था.इटली ऐसा करने वाला एकमात्र जी-7 राष्ट्र था. इटली के समाचार पत्र कोरिएरे डेला सेरा ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि मेलोनी प्रशासन ने चीनी नेतृत्व को बीआरआई प्रोजेक्ट से बाहर आने के फैसले से तीन दिन पहले अवगत करा दिया. नई दिल्ली में हुए जी -20 शिखर सम्मेलन के दौरान इटली की प्रधानमंत्री जार्जिया मेलोनी ने अपने समकक्ष चीनी प्रधानमंत्री ली कियांग को इटली के इस फैसले के बारे में बता दिया था. उस दौरान इतालवी सरकार ने कहा था कि चीन के साथ बीआईआई समझौता उनके देश की उम्मीदों को पूरा करने में विफल रहा है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, BRI में शामिल होने का इटली का फैसला कई महीनों से जांच के दायरे में था. इटली के तत्कालीन रक्षा मंत्री गुइडो क्रोसेटो ने इसे तात्कालिक और नृशंस कृत्य बताया था. पीएम मेलोनी ने भी इस सौदे को एक बड़ी गलती करार दिया था. मेलोनी ने कहा था कि वह इस गलती को सुधार करने का इरादा रखती हैं. आपको बता दें कि यह समझौता अगले साल मार्च में रिन्यू होने वाला था. चीन की महत्वाकांक्षी योजना में शामिल होने के बाद इटली चीन के साथ लगातार बढ़ते व्यापार घाटे से जूझ रहा था.
बीआरआई के साथ इटली निवेश को लाना चाहता था और चीन के विशाल बाजार का इस्तेमाल अपने सामान के निर्यात के लिए करना चाहता था. रिपोर्ट में कहा गया कि इटली को अनुमान था कि वह चीन निवेश आकर्षित करने में अन्य देशों को पछाड़ देगा. चीन के इस प्रोजेक्ट में शामिल होने के बाद चीन को उसका निर्यात 14.5 बिलियन यूरो से बढ़कर 18.5 बिलियन यूरो हो गया है. वहीं, इटली को चीनी निर्यात कहीं अधिक बढ़कर 33.5 बिलियन यूरो से 50.9 बिलियन यूरो हो गया है. चीन के साथ इटली का व्यापार घाटा इन वर्षों में कई गुना बढ़ गया है.