इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने मंगलवार को माउंट हरमोन की चोटी से एक महत्वपूर्ण बयान दिया. उन्होंने कहा कि इजराइल की सेना सीरियाई सीमा पर स्थित बफर जोन, विशेष रूप से माउंट हरमोन की चोटी पर, तब तक रहेगी जब तक कि एक नया समझौता नहीं हो जाता जो इजराइल की सुरक्षा सुनिश्चित कर सके. यह बयान उन्होंने माउंट हरमोन की बर्फ से ढकी चोटी से दिया, जो इस क्षेत्र का सबसे ऊंचा पर्वत शिखर है. यह पहली बार था जब किसी मौजूदा इजराइली नेता ने सीरिया के क्षेत्र में प्रवेश किया.
53 साल पहले आया था माउंट हरमोन
🔶 Prime Minister Netanyahu at the peak of Mount Hermon:
— Monika (@Monika_is_His) December 17, 2024
"We will remain in this important place until another arrangement is found that will ensure Israel's security." pic.twitter.com/GA1lHAkfWq
इस बफर जोन के गठन के बाद, इजराइल की सैन्य उपस्थिति और मजबूत हो गई है. यह कदम कई आलोचनाओं का शिकार हुआ है, जिसमें इजराइल पर 1974 में हुए युद्धविराम समझौते का उल्लंघन करने और सीरिया में चल रही अशांति का फायदा उठाकर भूमि अधिग्रहण करने का आरोप लगाया गया है.
🇮🇱 WATCH: PM Netanyahu just visited the “Syrian” side of Mount Hermon.
— Jews Fight Back 🇺🇸🇮🇱 (@JewsFightBack) December 17, 2024
From Tel Aviv to Mount Hermon, Israel stands tall, unshakable, and undefeated. The enemies who thought they could break us on October 7th are now seeing our leaders on their side of the border. pic.twitter.com/v4bcoiJfCU
जल्द से जल्द क्षेत्र की किलेबंदी करे सेना
इजराइल के रक्षा मंत्री इसराइल काट्ज ने भी माउंट हरमोन पर नेतन्याहू के साथ बफर जोन का दौरा किया. उन्होंने सेना को निर्देश दिया कि वे इलाके में जल्दी से जल्दी अपनी मौजूदगी स्थापित करें और इस क्षेत्र में किलेबंदी के काम शुरू करें, ताकि यदि आवश्यकता पड़ी तो यहां लंबे समय तक रहने की तैयारी की जा सके. काट्ज ने यह भी कहा, “माउंट हरमोन की चोटी इजराइल राज्य की आंखों के समान है, जिससे हम अपने दुश्मनों की पहचान कर सकते हैं, चाहे वे पास हों या दूर.”
गोलान हाइट्स को लेकर अंतरराष्ट्रीय विवाद
इजराइल ने ग़ोलान हाइट्स को 1967 के मध्यपूर्व युद्ध के दौरान सीरिया से कब्जा किया था और बाद में उसे इजराइल का हिस्सा घोषित कर दिया. हालांकि, अंतरराष्ट्रीय समुदाय का अधिकांश हिस्सा इजराइल के इस कदम को मान्यता नहीं देता है, और इसे अवैध मानता है. 1973 के युद्ध के बाद, संयुक्त राष्ट्र ने सीरिया और इजराइल के बीच एक 400 वर्ग किलोमीटर (155 वर्ग मील) का डिमिलिट्राइज्ड बफर जोन स्थापित किया था, जिसका सुरक्षा कार्य यूएन के करीब 1,100 सैनिकों द्वारा किया जाता था.