Israel Palestine War: 7 अक्टूबर 2023 को फिलिस्तीनी आतंकी गुट हमास के इजरायल पर हमले के बाद शुरू हुई जंग काफी आगे पहुंच गए है लेकिन इसका अंत होता नहीं दिख रहा है. इसमें अभी तक हजारों मौतें हो चुकी है. वहीं कई लोगों ने कैदी बनाया गया है. इजरायल और हमास के बीच हो रही जंग को लेकर एक रिपोर्ट आई है जिसमें कैदियों के हालात के बारे में बताया गया है. इजरायल की अस्पतालों में उन्हें इतनी यातनाएं दी जा रही हैं जिसे जानकर किसी हैवान की भी रूह कांप जाए.
करीब 8 महीने से चल रही जंग में दोनों देशों से मिलाकर करीब 4500 लोगों की मौत हो गई है. जान माल के नुकसान के साथ शहर के शहर तबाह हो गए हैं. अभी भी दोनों से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं. इसमें उन लोगों को यातनाएं सहनी पड़ रही हैं जो इस जंग के कारण कैदी बना लिए गए हैं.
इजरायल की कैद से छोड़े गए कैदी, वहां काम करने वाले डॉक्टर और एक्टिविस्ट के अनुसार इजरायल के सैन्य अड्डे पर कैदियों के साथ जानवरों से बदतर सलूक किया जाता है. फिलिस्तीनी कैदियों को बेड़ियां पहनाकर रखी जाती है. उनके आंखों में पट्टी बांधी जाती है. इतना ही नहीं उनका इलाज सही से नहीं किया जाता है. कई मरीजों की हालत जब ऑपरेशन तक पहुंचती है तो उन्हें बिना पेन किलर दिए ऑपरेशन कर दिया जाता है.
इजरायल ने फिलिस्तीन के गाजा से जिन लोगों को पकड़ा है. सरकारी अस्पताल उनका इलाज करने से मना कर रहे थे. उसके बाद सेना ने बीमार और घायल कैदियों के इलाज के लिए दक्षिण इजरायल के स्दे तेमान सैन्य अड्डे के एक अस्पताल बनाया. इसी सेंटर से तमाम मामले सामने आए हैं.
फिजिशियन फॉर ह्यूमन राइट्स इन इजरायल ने एक रिपोर्ट जारी की थी. इसमें बताया गया था कि इसराइल आम और सैन्य जेलों को बदला लेने का एक तंत्र बना दिया गया है. यहां कैदियों के मामव अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है.
सैन्य अस्पताल में काम कर चुके डॉक्टर के अनुसार, मरीजों के आंखों पर पट्टी बांधकर रखा जाता है. उनके हाथ-पैर बांध दिए जाते हैं. इतना ही नहीं उन्हें शौचालय नहीं जाने दिया जाता और डायपर पहना दिया जाता है. इससे इन जेलों में संक्रमण फैल रहा है. शुरुआत में कैदियों को बिस्तर से बांधकर रखा जाता था.
रिहा हुए कैदियों की फोटो से जाहिर है कि उनकी कलाई और पैरों के आसपास चोट और गहरे जख्म है. एक रिपोर्ट के अनुसार, सेना के इस अत्याचार के कारण कई कैदियों के हाथ पैर बेड़ियों से इतने जख्मी हो गए की उन्हें काटना तक पड़ा.
एक व्हिसल-ब्लोअर के अनुसार कैदियों को दर्द निवारक दवाएं जरूरी मात्रा में नहीं दी जाती हैं. एक घटना के बारे में उन्होंने बताया कि जब वो उस सेंटर में काम करते थे डॉक्टर को दर्द की दवा देने का अनुरोध करते थे लेकिन डॉक्टर ने दवा देने से इनकार कर दिया करते थे. इतना ही नहीं मरीजों को ऑपरेशन के समय दवा नहीं दी जाती थी.
खान यूनिस में रहने वाले 43 साल के ड्राइवर ने बताया की उन्हे छापे के दौरान हिरासत में ले लिया था. उनसे सैन्य अड्डे पर पूछताछ की गई. इस दौरान उनकी बेरहमी से पिटाई की गई. उनके पैर के घाव का इलाज करने से मना कर दिया गया जिसमें बाद में संक्रमण फैल गया. बाद में उन्हें अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टर ने पैर काट दिए. इसके बाद उन्हें सैन्य अड्डे ले जाया गया और छोड़ दिया गया.
हालांकि, इन तमाम आरोपों और रिपोर्ट को इसराइली सेना नकार रही है. उसका कहना है कि कैदियों के ख़िलाफ़ हिंसा हमारे सैन्य अड्डों पर 'पूरी तरह से प्रतिबंधित' है. सुरक्षाबलों को कैदियों के साथ कैसा व्यवहार रखना चाहिए इसके बारे में उन्हें लगातार ट्रेंड किया जाता है. उनपर आरोप लग रहे हैं तो वो इसकी जांच कराएंगे.