Indian Workforce In Israel: उत्तर प्रदेश, हरियाणा समेत कई अन्य राज्यों से खबरें आईं कि भारतीय मजदूरों को इजराइल भेजा जा रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि वहां मजदूरों की किल्लत हो गई है. कई विकास के काम रूप गए हैं, कई उद्योग बंद पड़े हैं, इसलिए भारतीय मजदूरों को वहां भेजा गया है. सवाल ये कि आखिर अचानक इजराइल में मजदूरों की किल्लत कैसे हो गई?
दरअसल, 7 अक्टूबर को हमास ने इजराइल पर हमला किया. इसके बाद इजराइल ने भी जवाबी कार्रवाई की. जब ये घटनाक्रम शुरू हुआ, उस दौरान इजराइल के अलग-अलग इंडस्ट्रीज में फिलिस्तीनी कर्मचारियों की संख्या काफी अधिक थी. लेकिन जंग के शुरू होने के बाद सभी फिलिस्तीनियों ने इजराइल छोड़ दिया. इसके बाद से इजराइल निर्माण कार्य लगभग बंद है. करीब 80 हजार फिलिस्तीनी इन निर्माणकार्यों को अंजाम दे रहे थे. फिलिस्तीनियों के इजराइल छोड़ने और इजराइल की ओर से फिलिस्तीनियों पर बैन के बाद देश में कई निर्माणकार्य अधूरे पड़े हैं. इस बीच, इजराइल ने मजदूरों की कमी को पूरा करने के लिए भारत का रूख किया है. है: भारत से मजदूरों की भर्ती ।
मजदूरों की किल्लत से जूझ रहे इजराइल ने भारत से लेबर फोर्स को लेकर मई 2023 में एक समझौता किया था. इसके मुताबिक, 42 हजार भारतीय मजदूरों को इजराइल जाना था, लेकिन अक्टूबर में हमास की ओर से छेड़ी गई जंग के बाद इसकी और जरूरत महसूस की जाने लगी. जानकारी के मुताबिक, अप्रैल से लेकर मई 2024 के बीच 6 हजार भारतीय इजराइल जाएंगे. इससे पहले दिसंबर में करीब 800 मजदूर इजराइल गए थे. इनमें केरल, तमिलानाडु, तेलंगाना और यूपी के मजदूर शामिल थे.
फिलहाल, इजराइल में भरतीयों की संख्या करीब 18 हजार है. इसमें मजदूर, स्टूडेंट्स, मेडिकल एक्सपर्ट्स, IT एक्सपर्ट्स शामिल हैं. कहा जा रहा है कि इजराइल में मजदूरों की किल्लत के कारण देश की GDP पर संकट गहराने लगा है. 'द गार्जियन' की रिपोर्ट के मुताबिक, इजराइल के वित्त मंत्रालय की आशंका है कि निर्माण और विकासकार्यों के बंद हो जाने से इजराइल की GDP में करीब 3 फीसदी की गिरावट आ सकती है.
रिपार्ट्स के मुताबिक, इजराइल गए भारतीयों को यहां के मुकाबले 5 गुना अधिक सैलरी मिलती है. इजराइल की सरकारी एजेंसी Population and Immigration Authority के मुताबिक, भारतीय मजदूरों को हर महीने 1.37 लाख रुपए सैलरी मिलेगी. इजराइल जाने के इच्छुक मजदूरों को अपने-अपने जिलों के ITI सेंटर्स पर फॉर्म भरना होता है. इसके बाद इंटरव्यू और टेक्निकल टेस्ट के लिए डेट फिक्स की जाती है. फिर टेस्ट के क्लियर करने के बाद उनके डॉक्यूमेंट्स और वीजा की जांच पड़ताल होती है और आखिर में उन्हें लेबर डिपार्टमेंट से कॉल लेटर भेजा जाता है.