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India Daily

इजरायल ने 'हरेदीम' यहूदियों को फौज में किया शामिल, 'हाहाश्मोनाइम' ब्रिगेड का बन गए हैं हिस्सा...,  जानिए कौन होते हैं ये?

इजरायल ने अपनी सेना में अब कट्टर यहूदियों को शामिल किया है. इनका समाज में काम सिर्फ धर्म का झंडा उठाना होता है, अब ये गोली भी चलाएंगे. 

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Edited By: Kamal Kumar Mishra
Israel Haredim Jews
Courtesy: x

Israel Haredim Jews: इजरायल में सेना को जंग के दौरान सैनिकों की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है. इस समस्या के समाधान के लिए इजरायल अब अति-रूढ़िवादी यहूदियों को भी सेना में भर्ती करने पर विचार कर रहा है. इन्हें हरेदीम (Haredim) कहा जाता है, जो यहूदी धर्म के सबसे कट्टर अनुयायी होते हैं. इजरायल की सेना, IDF ने हाल ही में इन अति-रूढ़िवादी यहूदियों के लिए अपनी पहली भर्ती प्रक्रिया शुरू की है.

IDF ने सोमवार को एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर जानकारी दी कि 50 अति-रूढ़िवादी जवानों को सेना में भर्ती किया गया है, और ये जवान अब 'हाहाश्मोनाइम' नाम के ब्रिगेड की पहली कंपनी का हिस्सा बन गए हैं. इसके अतिरिक्त, 100 और हरेदीम को छह महीने की प्रशिक्षण प्रक्रिया के बाद इस ब्रिगेड की रिजर्व कंपनी में शामिल किया जाएगा. यह कदम इजरायल सरकार की तरफ से युद्ध के समय की आवश्यकताओं को पूरा करने और हरेदीम समुदाय को सेना से जोड़ने के लिए उठाया गया है. 

कौन होते हैं हरेदीम यहूदी?

हिब्रू भाषा में हरेदीम का मतलब होता है 'अति-रूढ़िवादी' और ये यहूदी धर्म के ऐसे अनुयायी होते हैं जो अपनी धार्मिक आस्थाओं को जीवन के हर पहलू में अपनाते हैं. वे समाज से अलग रहते हुए अपनी पूजा और प्रार्थना करते हैं. हरेदीम समुदाय में महिलाएं लंबे और साधारण वस्त्र पहनती हैं और सिर को ढकती हैं, जबकि पुरुष काले रंग के सूट या ओवरकोट और बड़ी फर वाली टोपी पहनते हैं. 

अभी तक थी कानूनी छूट

अब तक इजरायल के कानून के तहत हरेदीम को सेना में अनिवार्य भर्ती से छूट प्राप्त थी. इसे 'टोराटो उमानुतो' कहा जाता था, जिसका अर्थ है कि उनका मुख्य कार्य धर्म का अध्ययन करना है. हालांकि, पिछले साल जुलाई में इस कानूनी छूट को समाप्त कर दिया गया, जिसके बाद इजराइल में इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी हुए थे.

यह कदम इजरायल की सेना और सरकार की ओर से धार्मिक समुदायों को अधिक शामिल करने और सेना की भर्ती की जरूरतों को पूरा करने के लिए उठाया गया है. हरेदीम समुदाय की यह नई भूमिका इजरायल की सैन्य और सामाजिक संरचना में एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत देती है.