खंडहर हो गया गाजा, रफाह में भी तबाही; इजरायल के लिए अपने कानूनों की धज्जियां उड़ा रहा अमेरिका!
Israel Hamas war: 7 अक्टूबर से शुरू हुए हमास और इजराल के जंग को 7 महीने होने को है. इस लंबी अवधि में इजराइल ने गाजा को तो खंडहर और मलबे में तब्दील कर ही दिया है. साथ ही रफाह को भी पूरी तरह से तबाह कर दिया है. कहा जा रहा है कि गाजा और रफाह को तबाह करने में इजराइल का तो पूरा हाथ है ही, लेकिन इसमें अमेरिका ने भी इजराइली सेना का बखूबी साथ दिया है, वो भी अपने कानून की धज्जियां उड़ाकर. आइए, पूरा मामला समझते हैं.
Israel Hamas war: खंडहर हो गया गाजा, रफाह में भी मची है तबाही... आखिर क्यों इजरायल के लिए अपने ही कानूनों की धज्जियां उड़ा रहा अमेरिका? इजराइल-हमास के बीच 7 अक्टूबर से शुरू हुआ जंग 7 महीने बाद भी खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. इजराइल ताबड़तोड़ अपने साथी देशों की मदद से गाजा और रफाह को तबाह कर रहा है. दावा किया जा रहा है कि इसमें सबसे ज्यादा हाथ अमेरिका का है. अमेरिका, इजराइल की मदद के लिए अपने ही कानून की धज्जियां उड़ा रहा है. अलजजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, जो बाइडेन सरकार ने अधिकारों का उल्लंघन करने वाली इजराइली सेना यूनिट्स को अमेरिकी फंडिग बैन करने से इनकार किया है.
सवाल ये कि आखिर इजराइली सेना की मदद के लिए अमेरिका कैसे अपने ही कानून की धज्जियां उड़ा रहा है. दरअसल, जिस कानून का जिक्र हम कर रहे हैं, उसे लीही कानून कहा जाता है. बात करीब जनवरी 2022 की है. बुजुर्ग फिलिस्तीनी अमेरिकी उमर असद को इजरायली सैनिकों ने हथकड़ी लगाई, आंखों पर पट्टी बांधी और मुंह बंद कर एक ठंडी कार पार्क में मरने के लिए छोड़ दिया. बुजुर्ग अमेरिकी की हिरासत के बाद अमेरिका में इजराइल के खिलाफ आक्रोश फैल गया और जवाबदेही की मांग की. लोगों ने अमेरिकी सरकार से इजरायली मिलिट्री को सैन्य सहायता न देने की अपील की.
80 साल के असद को हिरासत में लेने और उसकी हत्या के लिए इज़राइल की कुख्यात नेत्ज़ाह येहुदा बटालियन पर अन्य दुर्व्यवहारों का भी आरोप लगाया गया था. लेकिन 2 साल से अधिक समय के बाद, इस सप्ताह अमेरिका ने घोषणा की कि वो लीही कानून को लागू नहीं करेगा. दरअसल, ये कानून दुर्व्यवहार करने वाली विदेशी सैन्य इकाइयों को सहायता देने पर रोक लगाता है.
अमेरिका तैयार था, लेकिन इजराइल के विरोध के बाद पीछे हटा
पिछले महीने, मीडिया रिपोर्ट्स में संकेत दिया गया था कि अमेरिका नेत्ज़ाह येहुदा बटालियन पर लीही कानून लागू करने के लिए तैयार था, लेकिन इजरायली नेताओं के विरोध के बाद अमेरिका ने अपने कदम पीछे हटा लिये. आइए, समझते हैं कि आखिर लीही कानून क्या है?
रिटायर्ड अमेरिकी सीनेटर पैट्रिक लीही के नाम पर इस कानून को बनाया गया है. इस कानून के मुताबिक, विदेशी सहायता अधिनियम के तहत मानवाधिकारों के घोर उल्लंघन और नियमों के उल्लंघन करने वाले देशों की सेनाओं को मदद पर रोक लगाना है.
मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन क्या है?
अमेरिकी कानून के मुताबिक, मानवाधिकारों के घोर उल्लंघन में यातना या क्रूर, अमानवीय या अपमानजनक व्यवहार या सज़ा, आरोपों और परीक्षण के बिना लंबे समय तक हिरासत में रखना, उन व्यक्तियों के अपहरण और गुप्त हिरासत द्वारा व्यक्तियों के लापता होने का कारण और अन्य प्रमुख बातें शामिल हैं. लीही नियमों के अनुसार मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन करने वाली इकाइयों को अमेरिकी फंडिंग से अलग करना आवश्यक है.
एक रिपोर्ट के मुताबिक, लीही कानून को कभी इज़राइल पर लागू ही नहीं किया गया है. इजराइल को सालाना कम से कम 3.8 अरब डॉलर की अमेरिकी सैन्य सहायता मिलती है और बिडेन ने पिछले महीने अमेरिकी सहयोगी को 14 बिलियन डॉलर की अतिरिक्त सहायता पर हस्ताक्षर किए है. गाजा पर इजरायल के हमले में अब तक 34,500 फिलिस्तीनी मारे गए हैं. इजराइल के हमलों ने गाजा में मानवाधिकारों के हनन और युद्ध अपराधों के आरोपों की बाढ़ ला दी है.