Britain Sharia Courts: ब्रिटेन में इस्लाम की मजबूती बढ़ती जा रही है, इसके साथ ही देश में शरिया अदालतों की संख्या भी बढ़ रही है. मौजूदा समय में ब्रिटेन के भीतर 85 शरिया अदालतें हो चुकी हैं, जिसको लेकर कुछ संगठनों ने चिंता जाहिर की है.
ब्रिटेन में शरिया अदालतें मुस्लिम समुदाय के बीच विभिन्न धार्मिक और व्यक्तिगत मामलों का समाधान करती हैं. ये अदालतें पारंपरिक इस्लामी कानूनों के तहत फैसले सुनाती हैं और मुस्लिमों के बीच तलाक, संपत्ति विवाद, पारिवारिक मामलों जैसे मुद्दों पर फैसला करती हैं.
ब्रिटेन में बढ़ रहे मुस्लिम
ब्रिटेन में रहने वाले मुस्लिमों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है. 2001 की जनगणना के मुताबिक ब्रिटेन की कुल आबादी में मुस्लिमों की भागीदारी 3 फीसदी थी, जो साल 2021 में बढ़कर 6.5 फीसदी हो गई. इस वृद्धि के कारण मुस्लिम समुदाय के धार्मिक और सामाजिक मुद्दों को हल करने के लिए शरिया अदालतों की जरूरत महसूस की जा रही है.
ब्रिटेन में शरिया अदालतों का एक विवादास्पद पहलू यह है कि कुछ आलोचक इन अदालतों पर आरोप लगाते हैं कि वे ब्रिटेन के कानून के विपरीत काम करती हैं. हालांकि, समर्थक इसे एक सांस्कृतिक और धार्मिक आवश्यकता मानते हैं, जिससे मुस्लिम समुदाय को अपनी धार्मिक परंपराओं और रीति-रिवाजों का पालन करते हुए न्याय मिल सकता है.
द टाइम्स यूके की एक रिपोर्ट के मुताबिक, नेशनल सेक्युलर सोसाइटी ने ब्रिटेन के भीतर शरिया अदालतों को लेकर चिंता जाहिर की है. देश में पहली शरिया अदालत साल 1982 में स्थापित की गई थी. सोसाइटी का आरोप है कि शरिया अदालतें महिला-विरोधी विचारों को बढ़ावा दे रही हैं.
ब्रिटेन में एक लाख इस्लामी विवाह रजिस्टर्ड नहीं
ब्रिटेन में ये शरिया अदालतें इस्लामी विद्वानों के पैनल से बनी हैं, जिनमें ज्यादातर पुरुष हैं. वे अनौपचारिक निकाय के रूप में काम करते हैं और तलाक और शादी से जुड़े दूसरे मामलों पर धार्मिक फैसले सुनाते हैं. आंकड़ों के अनुसार, ब्रिटेन में करीब 1 लाख इस्लामी विवाह सरकारी विभाग में पंजीकृत नहीं कराए गए.
देश में दो कानून
द टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, अधिकांश मुस्लिम देशों ने शरिया में संशोधन किया है, लेकिन विवाह और तलाक के मामले में वे पारंपरिक नियमों को ही स्वीकार करते हैं. पत्नी के अनुरोध पर तलाक देने का आधार यह है कि यदि पति उसे तलाक देने के लिए तैयार नहीं है, तो यह प्रक्रिया सिविल कार्यवाही से काफी अलग है. धर्मनिरपेक्षता को बढ़ावा देने वाले संगठन, नेशनल सेक्युलर सोसाइटी ने ब्रिटेन में समानांतर कानूनी प्रणाली की मौजूदगी के बारे में अपनी चिंता व्यक्त की है.
मुस्लिम पुरुष कभी भी दे सकते हैं तलाक
सोसायटी के मुख्य कार्यकारी स्टीफन इवांस ने ऐसी परिषदों के खिलाफ चेतावनी जारी करते हुए कहा कि ये "सभी के लिए एक कानून के सिद्धांत को कमजोर करती हैं" और महिलाओं और बच्चों के अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं. इवांस ने कहा, "यह याद रखना चाहिए कि शरिया परिषदें केवल इसलिए अस्तित्व में हैं क्योंकि मुस्लिम महिलाओं को धार्मिक तलाक लेने के लिए उनकी जरूरत होती है. मुस्लिम पुरुषों को उनकी जरूरत नहीं है क्योंकि वे अपनी पत्नी को एकतरफा तलाक दे सकते हैं."