अमेरिका को एक समय पर दुनिया की सबसे बड़ी ताकत माना जाता था. वह खुद को अभी भी यही मानता है लेकिन बीते कुछ सालों में वैश्विक स्तर पर उसकी इस हैसियत को डेंट जरूर लगा है. रूस-यूक्रेन के युद्ध के समय अमेरिका ने तमाम धमकियां दीं लेकिन रूस ने उसकी एक न सुनी. अब इजरायल और ईरान के टकराव की स्थिति में न इजरायल उसकी बैन की धमकियों को गंभीरता से ले रहा है और न ही ईरान को अमेरिका की किसी बात का डर है.
हाल ही में ईरान के हमले के बाद अमेरिका ने इजरायल को चेतावनी दी थी कि वह पलटवार न करे. इसके बावजूद इजरायल ने इम्फहान पर हमला किया और अमेरिका इस पर खामोश हो गया. अमेरिका ने इजरायल डिफेंस फोर्सेज की स्पेशल यूनिट नेत्जाह येहुदा को बैन करने की चेतावनी भी इशारों ही इशारों में दे डाली. इस पर बेंजामिन नेतन्याहू ने दो टूक कह दिया कि उन्होंने कसम खाई है कि किसी भी प्रतिबंध के आगे नहीं झुकेंगे.
अब ईरान के राष्ट्रपति सैय्यद इब्राहिम रईसी के पाकिस्तान दौरे से भी अमेरिका तिलमिलाया हुआ है. वह पाकिस्तान को चेतावनी दे रहा है कि वह ईरान से कारोबार न करे. एक तरफ अमेरिका पाकिस्तान के साथ अपने अच्छे रिश्तों की दुहाई दे रहा है, दूसरी तरफ उसने पाकिस्तान के बैलिस्टिक प्रोग्राम के सप्लायर्स पर बैन लगाने का ऐलान कर दिया है. इसके बावजूद, न तो ईरान को कोई फर्क पड़ा और नही पाकिस्तान ने ईरान के साथ अपने समझौतों को करने में देरी लगाई.
कुछ दिनों पहले मशहूर लेखक रॉबर्ट कियोसाकी ने अपने एक ट्वीट से सनसनी मचा दी थी. उन्होंने अमेरिका की आर्थिक हालत का जिक्र करते हुए कहा था कि रियल एस्टेट, शेयर मार्केट और अन्य निवेश मार्केट धराशायी हो जाएंगे. उन्होंने दावा किया कि अमेरिका हर दिन कर्ज में डूब रहा है और एक दिन ऐसा आएगा जब कुछ नहीं बचेगा. कियोसाकी ने लोगों को सलाह दी थी कि सोने और चांदी में निवेश करें क्योंकि यही चीजें आगे काम आएंगी.
बीते कुछ महीनों में अमेरिका की कई कंपनियों में जबरदस्त छंटनी हुई है. खुद अमेरिका का खजाना खाली हो रहा है और वह लगातार कर्ज ले रहा है. पिछले एक दशक में अमेरिका का घाटा 400 मिलियन डॉलर से बढ़ते-बढ़ते 3 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गई है. 2001 में आई मंदी के बाद से ही अमेरिका के कारोबार पर काफी असर पड़ा है. 2017 में ट्रंप सरकार ने वित्तीय व्यवस्था में कई बदलाव किए. टैक्स में कटौती कर दी और राजस्व के संसाधन सीमित कर दिए. इससे अमेरिका उबर पाता, उससे पहले कोरोना आ गया.
लंबे समय से अमेरिका के दुनिया पर राज करने की वजह उसका पैसा रहा है. अमेरिका न सिर्फ दुनिया के तमाम देशों को आर्थिक मदद देता रहा है बल्कि हथियार और टेक्नोलॉजी जैसी चीजों के लिए तमाम देश उसी पर निर्भर रहे हैं. बीते कुछ दशकों में चीन और भारत जैसे कई अन्य देश छोटे देशों के लिए विकल्प बनकर उभरे हैं. तेल के मामले में जहां मिडल ईस्ट पूरी दुनिया पर राज कर रहा है तो मानव संसाधन के मामले में चीन और भारत सबको पीछे छोड़ रहे हैं. ऐसे में अमेरिका का दबदबा बनाकर रखने वाली वजहें सीमित हो रही हैं.