US Iran Relation: ईरान ने स्पष्ट किया कि उसे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का वह पत्र नहीं मिला है, जिसमें उन्होंने ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर बातचीत करने का प्रस्ताव दिया था. ट्रम्प ने कहा था कि उन्होंने ईरान के सर्वोच्च नेता अली खामेनेई को एक पत्र भेजा था, जिसमें उन्होंने नई परमाणु संधि पर वार्ता का अनुरोध किया था. इस मामले पर ईरान के दूतावास के एक प्रवक्ता ने शुक्रवार को कहा, "अब तक हमें ऐसा कोई पत्र नहीं मिला है." यह बयान उस समय आया जब ट्रम्प ने कहा था कि उन्होंने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को नियंत्रित करने के लिए एक नई संधि पर बातचीत करने के लिए खामेनेई को पत्र भेजा है.
क्या बोले ईरान के विदेश मंत्री?
ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने अमेरिका से परमाणु वार्ता की संभावना को नकारते हुए कहा कि जब तक वाशिंगटन अपनी "अधिकतम दबाव नीति" और धमकियों को जारी रखेगा, तब तक ईरान परमाणु समझौते को लेकर किसी भी प्रकार की बात नहीं करेगा.
अराघची ने न्यूज एजेंसी AFP से कहा, "जब तक अमेरिकी प्रशासन ईरान पर प्रतिबंध लगाएगा और दबाव बनाएगा, तब तक हम उनसे किसी भी प्रकार की बातचीत नहीं करेंगे."
ट्रम्प के प्रशासन ने जनवरी में सत्ता में आने के बाद ईरान के खिलाफ कई कड़े प्रतिबंध लगाए थे. इनमें ईरान के तेल क्षेत्र पर भी रोक लगाई गई थी. ट्रम्प का यह कदम उनके "अधिकतम दबाव" रणनीति का हिस्सा था, जिसका उद्देश्य ईरान को परमाणु हथियार बनाने से रोकना था.
ट्रम्प ने किया था पत्र भेजने का दावा
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक साक्षात्कार में यह भी कहा था कि उन्होंने ईरान को एक पत्र भेजा था, जिसमें उन्होंने परमाणु समझौते की बातचीत की उम्मीद जताई थी. इसके साथ डोनाल्ड ट्रंप ने धमकी देते हुए कहा था कि अगर ईरान बातचीत करने में विफल रहता है तो हमारे लिए सैन्य कार्रवाई का विकल्प ओपन रहेगा.
व्हाइट हाउस ने ट्रम्प के इस बयान की पुष्टि की और कहा कि राष्ट्रपति ने ईरान के नेताओं को परमाणु समझौते पर बातचीत के लिए पत्र भेजा है. ट्रम्प ने कहा, "मैं एक समझौते की उम्मीद करता हूं, लेकिन अगर हमें सैन्य तरीके से आगे बढ़ना पड़ा तो यह एक भयंकर स्थिति होगी."