Iran-Pakistan Gas Pipeline Project: पाकिस्तान और ईरान ने अमेरिकी प्रतिबंधों की धमकी को दरकिनार करते हुए गैस पाइपलाइन प्रोजेक्ट पर काम आगे बढ़ाने पर सहमत हो गए हैं. पाक में मौजूद ईरान के वाणिज्यिक दूता जनरल हसन नौरियन ने कहा कि दोनों देश परियोजना को जल्द पूरा करने के तरीकों पर विचार कर रहे हैं. परियोजना पर सवाल किए जाने पर उन्होंने कहा कि संबंधित पक्ष प्रोजेक्ट से जुड़ी अड़चनों का जल्द समाधान निकाल लेंगे. नौरियन ने साथ में यह भी कहा कि पाकिस्तान-ईरान गैस पाइपलाइन प्रोजेक्ट अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के अंतर्गत नहीं आती है. दोनों ही देश इस मुद्दे पर चर्चा कर रहे हैं.
तेहरान और इस्लामाबाद ने वर्ष 2010 में ईरान के दक्षिण फार्स क्षेत्र से लेकर पाक के पहाड़ी इलाके बलूचिस्तान और सिंध प्रांत तक गैस पाइपलाइन बनाने वाले एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. एक दशक पहले हुई इस डील का काम अब भी पूरा नहीं हो सका है. इसके पीछे कि बड़ी वजह अमेरिका के प्रतिबंध हैं. ईरान ने इस पाइपलाइन के निर्माण के लिए दो अरब डॉलर का निवेश किया है. वहीं, पाकिस्तान अमेरिकी प्रतिबंधों के डर के कारण निर्माण नहीं कर पा रहा है. 1900 किमी लंबी इस पाइपलाइन प्रोजेक्ट का मकसद पाक की बढ़ती उर्जा जरूरतों को पूरा करना है. पाक को इस परियोजना के तहत 25 सालों तक प्रति दिन 750 मिलियन से 1 अरब क्यूबिक फिट नेचुरल गैस की सप्लाई होनी है.
पाक सरकार ने साल 2014 में इस परियोजना के निर्माण के लिए 10 साल का और समय मांगा था. यह समयसीमा इस साल खत्म होने जा रही है. पाक के पास इसे शुरू करने के अलावा कोई उपलब्ध विकल्प नही हैं. ऐसा न करने की स्थिति में ईरान उसे अंतरराष्ट्रीय अदालत में लेकर जा सकता है और उसे भारी भरकम हर्जाने का भी सामना करना पड़ सकता है. ईरान पहले ही पाक को प्रोजेक्ट न पूरा करने पर जुर्माने की धमकी दे चुका है.
पाकिस्तान ने इससे पहले इस परियोजना के निर्माण के लिए अमेरिका से प्रतिबंधों में छूट का आग्रह भी किया था लेकिन अमेरिका ने यह कहते हुए साफ मना कर दिया कि वह इस गैस पाइपलाइन प्रोजेक्ट का समर्थन नहीं करता है. तंगहाली के दौर से गुजर रहे पाक को औद्योगिक उत्पादन और उर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए बड़ी मात्रा में प्राकृतिक गैस की जरूरत है.