ईरान और संयुक्त राज्य अमेरिका ने शनिवार को ओमान में ईरान के तेजी से बढ़ते परमाणु कार्यक्रम को लेकर वार्ता शुरू की. यह पहला मौका है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के जनवरी में सत्ता में लौटने के बाद दोनों देशों के बीच ऐसी बातचीत हुई है. ट्रम्प ने चेतावनी दी है कि यदि कोई समझौता नहीं हुआ तो ईरान पर सैन्य कार्रवाई हो सकती है.
वार्ता में शामिल प्रमुख चेहरे
Iran-U.S. Oman Talks
— IPNA (@irannewsvideo) April 12, 2025
Iranian delegation, led by Foreign Minister Abbas Araghchi, arrived in Muscat.#Iran#US#nuclear_talks pic.twitter.com/PzHGpIH8rk
ईरान का रुख और सुप्रीम लीडर की भूमिका
ईरान की सरकारी समाचार एजेंसी इरना के अनुसार, अराघची ने अमेरिकी पक्ष तक तेहरान की "मुख्य बातें और रुख" पहुंचाने का काम किया. एक ईरानी अधिकारी ने रॉयटर्स को बताया कि सुप्रीम लीडर अली खामनेई, जिनका महत्वपूर्ण मामलों में अंतिम फैसला होता है, ने अराघची को "पूर्ण अधिकार" दिया है. "वार्ता की अवधि, जो केवल परमाणु मुद्दे पर होगी, अमेरिकी पक्ष की गंभीरता और सद्भावना पर निर्भर करेगी," अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा.
क्षेत्रीय तनाव और वैश्विक चिंताएं
न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, खामनेई को उनके शीर्ष अधिकारियों ने चेतावनी दी थी कि परमाणु वार्ता की अनुमति न देने पर इस्लामिक रिपब्लिक के पतन का जोखिम है. यदि यह वार्ता सफल रही तो गाजा, लेबनान, और सीरिया जैसे क्षेत्रों में 2023 से चले आ रहे तनाव कम हो सकते हैं. लेकिन असफलता से मध्य पूर्व में बड़े संघर्ष की आशंका बढ़ेगी, जो विश्व के तेल निर्यात का प्रमुख क्षेत्र है.
अमेरिका की उम्मीदें और ईरान का जवाब
गुरुवार को अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने उम्मीद जताई कि वार्ता क्षेत्र में शांति लाएगी. "हमने स्पष्ट किया है कि ईरान को कभी परमाणु हथियार नहीं मिलेगा, और यही इस बैठक का आधार है," उन्होंने कहा. अगले दिन, ईरान ने कहा कि वह अमेरिका को संबंध सुधारने का "वास्तविक अवसर" दे रहा है, बावजूद इसके कि वह वाशिंगटन की "टकरावपूर्ण नीतियों" को खारिज करता है.