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India Daily

'पुतिन ने हत्या के लिए तीन जासूसों को किया इस्तेमाल', पत्रकार ने बताया फिर कैसे रहे जीवित?

रोमन डोब्रोखोतोव को एक खोजी पत्रकार के रूप में उनके काम के कारण निशाना बनाया गया था. ऐसे में उनका मानना ​​है कि जासूसी गिरोह का आदेश खुद व्लादिमिर पुतिन ने दिया था और इसे 'हत्या' माना गया था.

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Edited By: Mayank Tiwari
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन
Courtesy: Social Media

रूस से हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है. यहां रूसी जासूसी रिंग का शिकार हुए पत्रकार रोमन डोब्रोक्होतोव ने कहा है कि वह "जीवित रहने के लिए भाग्यशाली हैं". डोब्रोक्होतोव, जो एक पत्रकार हैं और 'द इंसाइडर' नाम के मीडिया संगठन के संस्थापक हैं, जो पहले रूस में स्थित था. यहां उनको यूनाइटेड किंगडम में स्थित बल्गेरियाई जासूसों द्वारा निशाना बनाया गया था, जो मास्को के लिए काम कर रहे थे.

डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक, बल्गेरियाई जासूसों कत्रिन इवानोवा (33), वान्या गैबरोवा (30), और तिहोमिर इवानोव इवानचेव (39) को शुक्रवार को ओल्ड बेली कोर्ट से "औद्योगिक पैमाने पर जासूसी करने" का दोषी पाया गया. वहीं, इन जासूसों ने राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालते हुए कई जिंदगियों को जोखिम में डाला.

पत्रकार की बयानबाजी

डोब्रोक्होतोव ने बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में कहा, "मैं वास्तव में जीवित रहने के लिए बहुत भाग्यशाली हूं. मुझे लगता है कि हत्या एक ऐसा विकल्प था जिसे उन्होंने विचार किया." जब उनसे पूछा गया कि उन्हें लगता है कि यह हमला किसने किया, तो उन्होंने कहा कि उन्हें यकीन है कि यह रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा किया गया था. उन्होंने कहा, "इस तानाशाही में, आप कभी भी व्यक्तिगत रूप से ऐसे राजनीतिक कदम नहीं उठाएंगे. आपको हमेशा राष्ट्रपति से सीधे आदेश मिलेंगे.

केंद्रीय जासूसों का नेटवर्क

इवानोवा, गैबरोवा और इवानचेव को यूनाइटेड किंगडम की धरती पर सामने आई "सबसे बड़ी और जटिल" शत्रु ऑपरेशनों में से एक का हिस्सा माना गया. उन्हें गिरोह के सरगना 47 वर्षीय ओर्लिन रूसेव, उसके सहायक 43 वर्षीय बिसर द्ज़ाम्बाज़ोव और 33 वर्षीय इवान स्टोयानोव के साथ सजा सुनाई जाएगी, जिन्होंने जासूसी गिरोह में अपनी भूमिकाएं स्वीकार की हैं.

इस ग्रुप का निर्देशन रूसी एजेंट 44 वर्षीय जैन मार्सलेक द्वारा किया जा रहा था, जो एक ऑस्ट्रियाई कारोबारी है और जर्मन भुगतान प्रसंस्करण फर्म वायरकार्ड के पतन के बाद इंटरपोल द्वारा वांटेड थे. 

एक और पत्रकार पर हमला

वहीं, अदालत में यह भी खुलासा हुआ कि दूसरे जांची पत्रकार क्रिस्टो ग्रोजेव को भी निशाना बनाया गया था. उन्हें नोविचोक विषाक्तता और 2014 में मलेशिया एयरलाइंस के विमान गिराने के मामले में रूसी कनेक्शन का खुलासा करने के बाद पीछा किया गया था.

जासूसी के खतरनाक परिणाम

डोब्रोक्होतोव ने बीबीसी से कहा कि भले ही ये जासूस "अनप्रोफेशनल" थे, लेकिन उन्होंने अभी भी अपनी सुरक्षा को लेकर चिंता जताई. "यह सच है कि वे बहुत ही कच्चे और मूर्ख थे, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वे खतरनाक नहीं थे. हालांकि, न्यायमूर्ति हिलियार्ड के.सी. ने प्रतिवादियों को 7 मई से 12 मई के बीच सजा सुनाए जाने तक हिरासत में भेज दिया।.