International Womens Day 2025: हर साल 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है, लेकिन इसके ऐतिहासिक मूल को अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है. यह दिवस औद्योगिक क्रांति के बाद महिलाओं के संघर्ष से जुड़ा हुआ है, जब ट्रेड यूनियनों से जुड़ी महिला श्रमिकों ने अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाई थी. खासतौर पर न्यूयॉर्क की परिधान श्रमिकों ने बेहतर वेतन और काम करने की उचित स्थिति की मांग को लेकर आंदोलन किया था.
'ब्रेड और रोज़ेज' का संघर्ष
आपको बता दें कि महिला श्रमिकों और महिला अधिकार कार्यकर्ताओं के आंदोलन में 'ब्रेड और रोजेज' का नारा विशेष रूप से लोकप्रिय था. यह नारा महिलाओं के मतदान अधिकारों और बेहतर जीवन स्तर की मांग का प्रतीक बना. इस नारे की उत्पत्ति अमेरिकी महिला मताधिकार कार्यकर्ता हेलेन टॉड के एक भाषण से हुई थी. अमेरिकी समाजशास्त्री और वैश्विक परिधान व्यापार पर शोधकर्ता रॉबर्ट जे. एस. रॉस ने इस नारे की व्याख्या करते हुए कहा कि यह सिर्फ आर्थिक सुधार की मांग तक सीमित नहीं था, बल्कि सम्मान और गरिमा की लड़ाई को भी दर्शाता था.
महिलाओं की आवाज बनीं रोज़ श्नाइडरमैन
वहीं जून 1912 में रोज श्नाइडरमैन, जो न्यूयॉर्क की वुमन ट्रेड यूनियन लीग की एक प्रमुख श्रमिक कार्यकर्ता थीं, ओहायो में महिलाओं के समान मतदान अधिकारों के समर्थन में एक भावनात्मक भाषण दिया. उन्होंने इस नारे के महत्व को समझाते हुए कहा, ''जो महिला श्रम करती है, उसे केवल अस्तित्व में रहने का अधिकार नहीं चाहिए, बल्कि जीने का पूरा हक मिलना चाहिए - जैसे अमीर महिलाओं को जीवन का आनंद लेने का अधिकार है, वैसे ही गरीब महिलाओं को भी मिलना चाहिए. हर कार्यकर्ता को रोटी चाहिए, लेकिन उसे गुलाब भी मिलने चाहिए. विशेषाधिकार प्राप्त महिलाएं, इस संघर्ष में उनका साथ दें और उन्हें वोट देने का अधिकार दिलाएं.''
बहरहाल, अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस केवल महिला सशक्तिकरण का उत्सव नहीं है, बल्कि यह उन संघर्षों की भी याद दिलाता है, जो महिलाओं ने समानता, सम्मान और बेहतर जीवन के लिए लड़े. 'ब्रेड और रोज़ेज़' का यह नारा आज भी महिलाओं के अधिकारों की लड़ाई का प्रतीक बना हुआ है.