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कोबाल्ट को लेकर छिड़ेगी हिंद महासागर में नई जंग, भारत के लिए चीन बन सकता है बड़ी मुसीबत

Indian Ocean: हिंद महासागर में कोबाल्ट के पहाड़ को लेकर कई देश अपना-अपना दावा कर रहे हैं. यह पहाड़ श्रीलंका के सबसे ज्यादा करीब है. रिपोर्ट के मुताबिक, अफानासी निकितिन सीमाउंट नाम के इस पहाड़ का भारत और श्रीलंका दोनों ही खनन करना चाहते हैं. कोबाल्ट के पहाड़ पर दावा करने के लिए भारत ने अंतर्राष्ट्रीय समुद्रतल प्राधिकरण (आईएसए) से इस साल जनवरी माह में परमिशन भी मांगी गई थी लेकिन आईएसए ने इजाजत देने से मना कर दिया था.

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Edited By: India Daily Live
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Courtesy: Social Media

Indian Ocean: भारत के सबसे दक्षिणी छोर से लगभग 1350 किमी की दूरी पर कोबाल्ट का विशाल पहाड़ मिला है. इस पहाड़ पर कई देश अपना दावा कर रहे हैं. रिपोर्ट के अनुसार, इस पहाड़ का नाम अफानासी निकितिन सीमाउंट है. यह पहाड़ भारत की तुलना में श्रीलंका के ज्यादा करीब है. खबर है कि भारत और श्रीलंका दोनों ही देश इसका खनन करना चाहते हैं. कोबाल्ट का प्रयोग इलैक्ट्रिक व्हीकल और बैटरियों में होता है. यह प्रदूषण कम फैलाता है और पर्यावरणीय लिहाज से बेहद टिकाऊ होता है. यदि यह पहाड़ भारत के हिस्से में आ जाता है तो भारत की चीन पर उर्जा निर्भरता कम हो जाएगी.

रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय अधिकारियों को डर सता रहा है कि इस पहाड़ पर कहीं चीन कब्जा ना कर ले.इसी डर से बचने के लिए भारत ने इस साल जनवरी माह में खनन के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुद्रतल प्राधिकरण (आईएसए) से इजाजत मांगी थी. भारत ने फी के रूप में आईएसए को चार करोड़ से ज्यादा रुपये देने का प्रस्ताव भी दिया लेकिन आईएसए ने इस प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया. 

भारत को हाथ लगी निराशा 

रिपोर्ट के अनुसार, समुद्री नियम कहते हैं कि किसी देश को सागर में शोध करने के लिए आईएसए की मंजूरी लेनी होती है. यह मंजूरी की आवश्यकता तब और अधिक हो जाती है जब वह वह इलाका किसी अन्य देश के अधिकार क्षेत्र में आता हो. कहा जा रहा है कि आईएसए ने यदि भारतीय प्रस्ताव को मान लिया होता तो भारत कोबाल्ट के पहाड़ पर 15 सालों तक बेरोक-टोक के शोध अभियान करने में सक्षम हो जाता. 

 

श्रीलंका समुद्री सीमा बढ़ाने की कोशिश कर रहा 

सामान्य तौर पर किसी भी देश की समुद्री सीमा उसके समुद्री तट से 12 नॉटिकल मील  मानी जाती है. यूएन की संधि के अनुसार, कोई भी देश अपने समुद्री तटों से 200 मील तक की दूरी तक के आर्थिक क्षेत्रों पर अधिकार रख सकता है. हालांकि तटीय देश इससे अधिक दूरी पर भी अपना दावा कर सकते हैं. वे अपने तर्क में कह सकते हैं कि उनकी महाद्वीपीय शेल्फ की सीमा 200 समुद्री मील से आगे तक विस्तृत है. श्रीलंका साल 2009 में अपनी समुद्री सीमा विस्तार का आवेदन भी कर चुका है. श्रीलंका ने संयुक्त राष्ट्र के महाद्वीपीय शेल्फ सीमा पर आयोग (CLCS) से 370 किमी तक अपनी समुद्री सीमा फैलाने के लिए आवेदन किया था.