Indian Chinese Border: अक्साई चिन से लेकर डोकलाम तक वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी LAC पर पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के मंसूबे ठीक नहीं दिख रहे हैं. इस साल की शुरुआत में US इंटेलिजेंस कम्युनिटी की एक रिपोर्ट पब्लिश हुई थी. रिपोर्ट में भारत और चीन के बीच सीमा पर जारी तनाव को ज्यादा तवज्जो नहीं दी गई थी. रिपोर्ट में कहा गया था कि दोनों पक्षों के बीच 2020 से सीमा पर कोई झड़प नहीं हुई है. इसके बावजूद, दोनों देशों ने बॉर्डर पर अपनी सैन्य तैनाती को बनाए हुए है.
इस साल अप्रैल में, यूएस आर्मी वॉर कॉलेज के स्ट्रैटेजिक स्टडीज इंस्टीट्यूट ने 2020-21 में भारत के सामने अक्साई चिन में पहाड़ी सीमा पर पीएलए गतिविधि की गहन जांच करने वाली एक रिपोर्ट पब्लिश की थी. रिपोर्ट लिखने वाले डेनिस ब्लास्को ने मुख्य रूप से इस बात पर विचार व्यक्त किया था कि 15-16 जून 2020 को गलवान घाटी में चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच हिंसा भड़कने के बाद पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने किस तरह तेजी से अपने जवानों को इस एरिया में तैनात किया.
हालांकि, बीजिंग और हांगकांग में अमेरिका के पूर्व रक्षा अताशे (Defence Attache) ब्लास्को ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर वर्तमान और भविष्य की स्थितियों का आकलन भी दिया. इसमें उन्होंने कहा कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) अक्साई चिन में LAC के पास और डोकलाम सीमा पर अनिश्चित काल तक अपनी तैनाती बनाए रखने के लिए तैयार दिख रही है.
ब्लास्को ने यूएस आर्मी वॉर कॉलेज के लिए अपने रिसर्च में अक्साई चिन क्षेत्र के Google Earth सैटेलाइट कवरेज का पूरा यूज किया. हालांकि कुछ इमेज अप-टू-डेट नहीं हैं, इसलिए यहां पीएलए की वर्तमान तैनाती का विश्वसनीय आकलन नहीं दे सके. फिर भी, पूर्व अमेरिकी अधिकारी ने आकलन किया कि अक्साई चिन में 400 किमी के मोर्चे पर करीब 20,000 सैनिक तैनात हैं, जो LAC से 32 किमी से अधिक पीछे तक फैला हुआ क्षेत्र है. हालांकि, गैर-चीनी मीडिया में अक्सर 40,000 से लेकर 60,000 तक का दावा किया जाता है.
ब्लास्को ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट में ये भी बताया कि पीएलए यूनिट्स को क्षेत्र को मजबूत करने और उस पर कब्जा करने, गश्त करने और निर्माण परियोजनाओं की रक्षा करने के लिए तैनात किया गया है, जो एक दशक पहले
दक्षिण चीन सागर में रीफ विस्तार अभियानों के समान है. वास्तव में, पीएलए दोनों सरकारों के बीच समाधान पर बातचीत करने तक इस क्षेत्र में रहने के लिए तैयार है.
चीन- भारत सीमा पर डोकलाम एक और जगह थी, जहां 2017 में भारत और चीनी सैनिकों के बीच झड़प हुई थी. ब्लास्को के मुताबिक, चीन नए बुनियादी ढांचे के निर्माण पर तेजी से काम कर रहा है, जैसे कि पैंगोंग झील के सबसे संकरे हिस्से पर दो पुल बनाना. अनुमान है कि एक पुल 6 मीटर चौड़ा और दूसरा 11 मीटर चौड़ा है, जो सैनिकों, उपकरणों और आपूर्ति की आवाजाही में मदद कर सकता है. चीन पुल से मोल्दो गैरीसन और स्पैंगगुर झील के पीछे पीएलए बेस कैंप तक एक सड़क भी बना रहा है, जो सैनिकों की तेजी से तैनाती की सुविधा प्रदान करेगा.
इससे पहले जब ब्लास्को से पूछा गया कि क्या चीन- भारत सीमा पर आगे भी टकराव हो सकता है , तो उन्होंने न्यूज एजेंसी से कहा कि हां, मुझे लगता है कि संघर्ष की संभावना है, खासकर तब जब छोटी यूनिट्स एक-दूसरे के करीब आ रही हैं. दोनों पक्षों में संभवतः बहुत से लोग लड़ाई की तलाश में हैं.