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तीसरे विश्व युद्ध की आहट, दुनियाभर में खरीदे जा रहे हथियार, जानिए भारत ने कितने खरीदे

Sipri Report: स्टॉकहोम में मौजूद पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट ने अपनी रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट में दुनियाभर में बढ़ रहे सैन्य खर्च के बारे में बताया गया है जिसके आगे जारी रहने की संभावना है.

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Edited By: India Daily Live
Sipri Report

Sipri Report: दुनियाभर में हथियारों की खरीद में बेहद वृद्धि देखी जा रही है. स्टॉकहोम स्थित इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है. रिपोर्ट बताती है कि साल 2023 में दुनिया के सैन्य खर्च में एक दशक की सबसे ज्यादा वृद्धि देखी गई है. यह खर्च पिछले साल 2.4 ट्रिलियन डॉलर की नई ऊंचाई पर पहुंच गया. हथियारों की खरीद और सैन्य खर्चे में बढ़ोत्तरी दुनियाभर में चल रहे युद्ध और भू-राजनीतिक तनावों के कारण हुई है. 

सिप्री के सीनियर रिसर्चर नान तियान ने कहा कि दुनिया का कुल सैन्य खर्च अब सबसे उच्चतम स्तर पर है. 2009 के बाद पहली बार सभी पांच भौगोलिक क्षेत्रों के सैन्य खर्च में यह वृद्धि हुई है. सैन्य खर्च में बढ़ोत्तरी वैश्विक शांति और सुरक्षा चिंताओं को रेखांकित करती हैं. यूरोप ने खासतौर पर रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते अपने सैन्य खर्च को बढ़ाया है. रूस का सैन्य खर्च 24 प्रतिशत बढ़कर 109 अरब डॉलर के स्तर तक पहुंच गया है. यूक्रेन का सैन्य खर्च भी 51 प्रतिशत बढ़कर 64.8 बिलियन डॉलर हो गया है. 

एशिया और पश्चिम एशिया में भी सैन्य खर्चों में भारी वृद्धि देखी गई है. हमास से जंग के बाद इजरायल ने अपने सैन्य खर्चों को 24 प्रतिशत बढ़ाया है तो सऊदी अरब ने भी अपने सैन्य खर्च में 4.3 फीसदी की वृद्धि की है. चीन के आक्रामक रवैये के कारण उनके पड़ोसियों में अपने खर्चों में वृद्धि की है. ताइवान और जापान ने अपने सैन्य बजट में 11 फीसदी की बढ़ोत्तरी की है.  चीन ने इस साल अपना सैन्य खर्च बढ़ाकर 296 बिलियन डॉलर कर दिया है. सबसे ज्यादा सैन्य खर्च करने वाले टॉप-5 देशों की सूची में भारत चौथे स्थान पर है. इस लिस्ट में पहले पायदान पर अमेरिका, दूसरे पर चीन, तीसरे नंबर पर रूस चौथे पर भारत और पांचवें नंबर पर सऊदी अरब है.

सैन्य खर्च में फिलहाल कोई कमी न आने की उम्मीद है. गाजा और एशिया में तनाव के चलते सैन्य खर्च में वृद्धि जारी रहने की संभावना है. दुनिया के तमाम देश अपनी सुरक्षा को प्राथमिकता दे रहे हैं और अपने सैन्य खर्च में वृद्धि कर रहे हैं.