UNSC News: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता को लेकर बड़ा बयान दिया है. मंगलवार को एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता का दावा पहले से ज्यादा मजबूत हुआ है और हमें विश्वास है कि ऐसा जल्द होगा. उन्होंने कहा कि बदल रहे हालात और वैश्विक समर्थन आज भारत के पक्ष में है जिसके लिए हमें अपने प्रयासों को और तेज करने की जरूरत है.
जयशंकर ने सुरक्षा परिषद के 80 साल पुरानी सरंचना पर कहा कि उस दौरान भू-राजनीतिक परिस्थितियां दूसरी थी. उन्होंने कहा कि तब पूरी दुनिया में केवल 50 देश ही स्वतंत्र थे लेकिन आज यह खाका पूरी तरह बदल चुका है. अब दुनियाभर में स्वतंत्र देशों की संख्या 193 हो गई है. ऐसे में सुरक्षा परिषद में सुधार की आवश्यकता है. सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्य सही मायने में पूरी दुनिया का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं. इसमें बदलाव की जरूरत है.
जयशंकर ने सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों पर कहा कि ये देश सुरक्षा परिषद की सरंचना में बदलाव और छेड़छाड़ नहीं चाहते हैं. हालांकि उन्होंने कुछ देशों के सुरक्षा परिषद में सुधार को लेकर उनके स्पष्ट रवैये की भी तारीफ की. उन्होंने कहा कि यूएनएससी में सुधार पर कई देश पीछे से समर्थन करते हैं तो कई ईमानदारी से इसमें बदलाव की वकालत भी करते हैं. यह सब सालों से चल रहा है जिसे बदला जाना चाहिए.
विदेश मंत्री ने कहा कि दुनिया भर में अब यह धारणा बन रही है कि भारत को स्थायी सीट मिलनी चाहिए. मैं इस धारणा और विश्वास को हर साल बढ़ता हुआ देख रहा हूं. हम निश्चित तौर पर इसे जल्द ही हासिल कर लेंगे. लेकिन इसके लिए हमें कड़ी मेहनत करनी होगी. कुछ भी आसानी से नहीं मिलता है हमें अपने प्रयास करते रहने होंगे. उन्होंने आगे कहा कि संयुक्त राष्ट्र जैसी वैश्विक एजेंसियां पानी, बिजली, सड़क, स्वास्थ्य, स्कूली शिक्षा आदि जैसे सामाजिक क्षेत्रों में भारत की उपलब्धियों को समझती हैं और उसके योगदान का सम्मान करती हैं. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत के साथ-साथ जापान, जर्मनी और मिस्र ने भी मिलकर संयुक्त राष्ट्र के समक्ष एक प्रस्ताव रखा है और उनका मानना है कि इससे मामला थोड़ा आगे बढ़ेगा.
जयशंकर ने कहा कि स्थायी सदस्यता के लिए हमें दबाव बनाना होगा और जब यह दबाव बढ़ता जाएगा तो दुनिया में यह भावना पैदा होगी कि संयुक्त राष्ट्र कमजोर हो गया है. यूक्रेन युद्ध पर संयुक्त राष्ट्र में गतिरोध था और गाजा के संबंध में संयुक्त राष्ट्र में कोई आम सहमति नहीं बन पाई थी. मेरा मानना है कि जैसे-जैसे यह भावना बढ़ेगी, हमें स्थायी सीट मिलने की संभावना बढ़ती जाएगी.