India Canada Tension: भारत ने सोमवार को कनाडा से अपने उच्चायुक्त को वापस बुलाने का निर्णय लिया, साथ ही अन्य लक्षित राजनयिकों और अधिकारियों को भी वापस बुलाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. यह निर्णय भारत के विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान के माध्यम से स्पष्ट किया गया, जिसमें कनाडाई सरकार की कार्रवाई को पूरी तरह से अस्वीकार्य बताया गया.
बयान में कहा गया है, “कनाडा के चार्ज डि'एफ़ेयर को आज शाम विदेश मंत्रालय के सचिव (पूर्व) द्वारा समन किया गया. उन्हें सूचित किया गया कि भारतीय उच्चायुक्त और कनाडा में अन्य राजनयिकों एवं अधिकारियों का बेतुका लक्ष्य बनाना बिल्कुल अस्वीकार्य है.” इस मुद्दे पर भारत की चिंताओं को साझा करते हुए कहा गया कि कनाडा में बढ़ते उग्रवाद और हिंसा के माहौल में ट्रूडो सरकार की कार्रवाई ने इन राजनयिकों की सुरक्षा को खतरे में डाल दिया है.
Government of India has decided to withdraw the High Commissioner and other targeted diplomats and officials from Canada.
— ANI (@ANI) October 14, 2024
The MEA statement reads, "It was underlined that in an atmosphere of extremism and violence, the Trudeau Government's actions endangered their safety. We… pic.twitter.com/HxBd4fvO0E
भारत सरकार ने स्पष्ट किया कि उसे वर्तमान कनाडाई सरकार की सुरक्षा सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता पर कोई भरोसा नहीं है. इसके चलते, भारत ने अपने उच्चायुक्त और अन्य लक्षित राजनयिकों और अधिकारियों को वापस बुलाने का निर्णय लिया है.
इस फैसले से कनाडा में राजनीतिक हलचल मच गई है, क्योंकि यह कदम द्विपक्षीय संबंधों में और अधिक तनाव को जन्म दे सकता है. भारतीय उच्चायुक्त की वापसी से कनाडा में भारत की राजनयिक उपस्थिति कम होगी, जो आने वाले दिनों में द्विपक्षीय सहयोग और संवाद को प्रभावित कर सकता है.
इस स्थिति ने कनाडा में अफरा-तफरी मचा दी है, और सभी दृष्टिकोणों से यह देखा जा रहा है कि यह कदम दोनों देशों के बीच के संबंधों को किस दिशा में ले जाएगा. भारत के इस कड़े कदम ने कनाडाई सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती उत्पन्न कर दी है, और इसे संबोधित करने के लिए उन्हें उचित कदम उठाने होंगे.इस घटना से यह स्पष्ट है कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति में राजनयिक संबंधों की सुरक्षा और सम्मान कितना महत्वपूर्ण है. ऐसे हालात में, जब एक देश दूसरे देश के राजनयिकों की सुरक्षा पर संदेह करता है, तो वह रिश्तों में दरार का कारण बन सकता है. भारत का यह निर्णय इस बात का संकेत है कि वह अपने राजनयिकों की सुरक्षा को गंभीरता से लेता है और किसी भी तरह के खतरे को बर्दाश्त नहीं करेगा.
कनाडा में भारतीय समुदाय के बीच भी इस घटनाक्रम को लेकर चिंता बढ़ गई है. भारतीय प्रवासियों का मानना है कि राजनयिक संबंधों में तनाव का असर उनकी जीवनशैली पर भी पड़ सकता है. उन्हें उम्मीद है कि दोनों सरकारें बातचीत के माध्यम से इस समस्या का समाधान निकालेंगी.
आगे की कार्रवाई और दोनों देशों के बीच राजनयिक संवाद का क्या स्वरूप होगा, यह देखने योग्य होगा. भारत का यह कदम एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है, जो भविष्य में भारत-कनाडा संबंधों की दिशा निर्धारित करेगा.