US-India Trade: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाशिंगटन डीसी के ब्लेयर हाउस में उच्च स्तरीय बैठकों के साथ अपने दो दिवसीय अमेरिका दौरे की शुरुआत की. इस दौरान उनकी सबसे महत्वपूर्ण मुलाकात अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ हुई. व्हाइट हाउस में हुई इस द्विपक्षीय वार्ता में दोनों नेताओं ने रणनीतिक और सुरक्षा सहयोग, रक्षा, व्यापार, आर्थिक साझेदारी, तकनीकी विकास, ऊर्जा सुरक्षा और वैश्विक मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की.
बता दें कि विदेश मंत्रालय के अनुसार, इस बैठक में दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों को नई ऊंचाई तक ले जाने का लक्ष्य तय किया गया. विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा, ''प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा भारत-अमेरिका संबंधों की प्राथमिकता को दर्शाती है.'' इस दौरान पीएम मोदी ने एलन मस्क, विवेक रामास्वामी और अमेरिकी राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड से भी मुलाकात की.
2030 तक 500 बिलियन डॉलर के व्यापार का लक्ष्य
वहीं बता दें कि व्हाइट हाउस में हुई इस महत्वपूर्ण बैठक में अमेरिका-भारत व्यापार को 2030 तक 500 बिलियन डॉलर तक ले जाने के लिए 'मिशन 500' की शुरुआत की गई. दोनों नेताओं ने इस लक्ष्य को पाने के लिए बहु-क्षेत्रीय द्विपक्षीय व्यापार समझौते के पहले चरण पर 2025 के अंत तक बातचीत पूरी करने का निर्णय लिया.
नया 10-वर्षीय रक्षा सहयोग ढांचा
बताते चले कि अमेरिका और भारत ने 2025 से 2035 तक के लिए रक्षा साझेदारी का एक नया 10-वर्षीय ढांचा तैयार करने की योजना पर सहमति जताई. यह समझौता इस साल के अंत तक अंतिम रूप ले सकता है. इसके तहत, लैंड और एयर डिफेंस सिस्टम, रक्षा खरीद और सह-उत्पादन को लेकर कई अहम निर्णय लिए जाएंगे.
तकनीकी और कृत्रिम बुद्धिमत्ता में साझेदारी
बैठक में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के विकास को लेकर भी व्यापक चर्चा हुई. दोनों देशों ने मिलकर AI बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए एक संयुक्त रोडमैप तैयार करने का निर्णय लिया. इसमें निजी कंपनियों की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी, साथ ही उन्नत डेटा केंद्रों और ऑटोनॉमस सिस्टम के निर्माण पर भी जोर दिया जाएगा.
व्यापार बाधाओं को कम करने पर सहमति
दोनों नेताओं ने पारस्परिक व्यापारिक अवसरों को बढ़ावा देने के लिए एक संयुक्त दृष्टिकोण अपनाने की घोषणा की. इसमें बाजार पहुंच में वृद्धि, शुल्क और गैर-शुल्क बाधाओं को कम करना, और आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करना शामिल है. इसके अलावा, भारतीय कंपनियों द्वारा अमेरिका में 7 बिलियन डॉलर से अधिक का निवेश करने की प्रतिबद्धता भी जताई गई.
अवैध अप्रवासियों पर भी हुई चर्चा
इसके अलावा आपको बता दें कि विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बताया कि इस बातचीत में अवैध अप्रवासियों का मुद्दा भी उठा. प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट किया कि भारत अपने अवैध अप्रवासियों को वापस लेने के लिए तैयार है, लेकिन यह केवल एक पहलू है. उन्होंने कहा कि अवैध आव्रजन से जुड़े पूरे इकोसिस्टम पर सख्त कार्रवाई करने की जरूरत है, जो दोनों देशों की जिम्मेदारी है.
भारत-अमेरिका संबंधों को मिलेगी नई गति
बहरहाल, अमेरिका और भारत के बीच यह समझौते दोनों देशों के आर्थिक और रणनीतिक संबंधों को और मजबूत करेंगे. व्यापार, रक्षा और तकनीकी क्षेत्रों में यह नए अवसर पैदा करेगा, जिससे दोनों देशों के बीच सहयोग और अधिक गहरा होगा.