हां, इमरजेंसी की स्थिति में भारतीय प्लेन या किसी भी देश का विमान दुश्मन देश के एयरस्पेस में लैंडिंग कर सकता है. लेकिन इसके लिए कुछ विशेष नियम और अंतरराष्ट्रीय कानून लागू होते हैं. अंतरराष्ट्रीय नियम क्या कहते हैं?
अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO) के तहत, शिकागो कन्वेंशन के अनुसार, यदि कोई विमान आपातकालीन स्थिति में है (जैसे तकनीकी खराबी, ईंधन की कमी, या मेडिकल इमरजेंसी), तो वह दुश्मन देश के एयरस्पेस का उपयोग कर सकता है और लैंडिंग भी कर सकता है.ऐसी स्थिति में विमान को संबंधित देश के एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) को सूचना देनी होती है.
दुश्मन देश को भी मानवता के आधार पर मदद करनी होती है.
जीवन की सुरक्षा प्राथमिकता होती है. अगर कोई विमान गंभीर संकट में है, तो दुश्मन देश को अंतरराष्ट्रीय नियमों के तहत उसकी मदद करनी होती है.
भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण संबंधों के बावजूद, इमरजेंसी की स्थिति में पाकिस्तान भारतीय विमानों को अपने एयरस्पेस या हवाई अड्डे पर उतरने की अनुमति दे सकता है. ऐसे मामलों में राजनीति और सुरक्षा से जुड़े मुद्दों को भी ध्यान में रखा जाता है.
ऐसे कई उदाहरण हैं जहां दुश्मन देशों ने मानवीय आधार पर मदद की है. हालांकि, भारत और पाकिस्तान के बीच ऐसा मामला दुर्लभ है.
विमान को उतरने की अनुमति मिलने के बाद, पाकिस्तान की सुरक्षा एजेंसियां उसे बारीकी से जांचेंगी. अगर स्थिति वास्तविक है, तो मानवीय मदद दी जाएगी. यह नियम न केवल आपात स्थिति में जान बचाने के लिए बनाया गया है, बल्कि यह दर्शाता है कि दुश्मनी के बावजूद, मानव जीवन सबसे महत्वपूर्ण है.भारत और पाकिस्तान के बीच दशकों से तनावपूर्ण संबंध हैं. इसके बावजूद, इमरजेंसी लैंडिंग जैसी स्थिति में आमतौर पर नियमों का पालन किया जाता है.
जासूसी का संदेह-पाकिस्तान की सुरक्षा एजेंसियां यह सुनिश्चित करने के लिए जांच करेंगी कि विमान में कोई जासूसी उपकरण या संदिग्ध सामग्री न हो.
सुरक्षा जांच में देरी- दुश्मन देश होने के कारण प्रक्रिया लंबी हो सकती है.
राजनीतिक विवाद- यदि स्थिति गंभीर नहीं पाई गई, तो इसे राजनीतिक विवाद का रूप दिया जा सकता है.