प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और श्रीलंकाई राष्ट्रपति अनुरा कुमार डिसानयाके ने शनिवार (5 अप्रैल) को श्रीलंका में सात महत्वपूर्ण समझौतों (MoUs) पर हस्ताक्षर किए, जिनमें पहला रक्षा सहयोग समझौता भी शामिल है. बता दें कि, यह ऐतिहासिक समझौता दोनों नेताओं के बीच बातचीत के बाद हस्ताक्षर किए गए. जिसे हाल के दिनों में भारत-श्रीलंका संबंधों की बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार (4 अप्रैल) को श्रीलंका का तीन दिवसीय दौरा शुरू किया, जिसका मकसद दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत बनाना था. इस यात्रा के दौरान, पीएम मोदी ने ऊर्जा, कारोबार, कनेक्टिविटी, डिजिटलीकरण और रक्षा क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की. शनिवार सुबह उन्हें कोलंबो के स्वतंत्रता चौक पर औपचारिक गार्ड ऑफ ऑनर से स्वागत किया गया.
रक्षा सहयोग पर ऐतिहासिक समझौता
भारत और श्रीलंका के बीच रक्षा सहयोग समझौता दोनों देशों के रिश्तों में एक नया मोड़ साबित हो रहा है. इस समझौते के तहत, भारत और श्रीलंका अपनी सुरक्षा साझेदारी को और मजबूत करेंगे, जो करीब 35 साल पहले भारत द्वारा भारतीय पीस कीपिंग फोर्स (IPKF) को श्रीलंका से वापस बुलाने के बाद से ठंडा पड़ गया था. इस समझौते ने दोनों देशों के संबंधों को एक नई दिशा दी है.
त्रिंकोमाली और अन्य समझौतों पर हुए हस्ताक्षर
इसके अलावा, भारत और श्रीलंका ने त्रिंकोमाली को ऊर्जा हब के रूप में विकसित करने पर सहमति जताई है. साथ ही भारत ने श्रीलंका के पूर्वी क्षेत्र के लिए बहु-क्षेत्रीय सहायता देने के लिए भी एक समझौते पर हस्ताक्षर किए.
यहां भारत और श्रीलंका के बीच सात प्रमुख समझौतों की लिस्ट दी गई है जो निम्नलिखित है.
HVDC इंटरकनेक्शन के लिए MoU (पावर आयात/निर्यात के लिए)
डिजिटलीकरण के क्षेत्र में सफल डिजिटल समाधानों के साझा करने का MoU
त्रिंकोमाली को ऊर्जा हब के रूप में विकसित करने का MoU
रक्षा सहयोग पर भारत और श्रीलंका के बीच MoU
पूर्वी प्रांत के लिए बहु-क्षेत्रीय सहायता पर MoU
स्वास्थ्य और चिकित्सा के क्षेत्र में सहयोग का MoU
भारतीय औषधि आयोग और श्रीलंकाई राष्ट्रीय औषधि नियामक प्राधिकरण के बीच औषधि सहयोग पर MoU
समपुर सौर ऊर्जा परियोजना का PM मोदी और राष्ट्रपति डिसानयाके ने किया उद्घाटन
प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति डिसानयाके ने वर्चुअली समपुर सौर ऊर्जा परियोजना का उद्घाटन किया, जो भारत और श्रीलंका के बीच ऊर्जा क्षेत्र में बढ़ते सहयोग का प्रतीक है. यह परियोजना दोनों देशों के बीच ऊर्जा साझेदारी को और मजबूत करेगी.