तालिबान और भारत की डील से टेंशन में आया 'आतंकिस्तान', जानें वजह

Pakistan News: अफगानिस्तान की तालिबान सरकार पाकिस्तान के ऊपर से अपनी निर्भरता को कम करना चाहती है. इसलिए उसने चाबहार बंदरगाह का व्यापारिक मार्ग के रूप में इस्तेमाल करने की बात कही है.

India Daily Live

Pakistan News: भारत सरकार की विदेश नीति ने अब असर दिखाना शुरु कर दिया है. मार्च माह में भारत और तालिबान के प्रतिनिधियों ने काबुल में मुलाकात की थी. इसके बाद जानकारी सामने आई थी कि अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ईरान के चाबहार बंदरगाह में 3.5 करोड़ डॉलर का निवेश करेगी. अब खबर सामने आ रही है कि काबुल अपना अधिकांश व्यापार इसी पोर्ट के जरिए करना चाहता है और पाकिस्तान के रास्ते होने वाले व्यापार को कम करना चाहता है. तालिबान सरकार की इस घोषणा से इस्लामाबाद की नींद उड़ा दी है. पाकिस्तान मामलों के जानकार तो इसे भारत की बड़ी डील करार दे रहे हैं. 

पाकिस्तान के रक्षा मामलों के जानकार कमर चीमा ने इसे भारत की विदेश नीति का कमाल बताया है. उन्होंने कहा कि भारतीय विदेश नीति जयशंकर के नेतृत्व में बड़े निर्णय ले रही है. उन्होंने कहा कि भारत तालिबान को अपने साथ लाकर इस्लामाबाद को काबुल में अलग-थलग करने की कोशिश कर रहा है. चीमा ने कहा कि अफगानिस्तान सरकार पाकिस्तान के ऊपर से अपनी निर्भरता को कम करना चाह रही है और अंतरराष्ट्रीय व्यापार में अपनी उपस्थिति बढ़ाना चाह रहा है.  काबुल चाबहार के रास्ते व्यापार कर रहा है. इसका निर्माण भारत ने किया है. 

कमर चीमा ने कहा कि भारत को अफगानिस्तान पहुंचने के लिए पाकिस्तान ने रास्ता नहीं दिया. भारत ने उसकी काट निकालते हुए चाबहार पोर्ट का निर्माण किया. पाकिस्तान से तनाव के कारण तालिबान भी उससे दूरी बना रहा है. उन्होंने कहा कि तालिबान का पाकिस्तान से दूर होना उसके लिए नई परेशानी खड़ी करने जैसा है.

चीमा ने कहा कि चाबहार पोर्ट का इस्तेमाल तालिबान ने व्यापार के लिए चुना है. अफगान तालिबान ने पाकिस्तान को नजरअंदाज करते हुए भारत को अपना दोस्त बनाया है. पाक अब मुश्किल में फंस गया है. पाकिस्तान के लिए टीटीपी बड़ा खतरा है जो सेना और हमारे नागरिकों पर हमले करता है. तालिबान उन पर कोई कार्रवाई नहीं करना चाहता है. चीन भी पाकिस्तान में निवेश से तंग आ चुका है. इस्लामाबाद भारत को अपना प्रतिद्वंद्वी बताता है.