मालदीव ने मंगलवार को एक बड़ा फैसला लेते हुए इजरायली पासपोर्ट धारकों के देश में प्रवेश पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया. यह कदम फलस्तीन के प्रति एकजुटता दर्शाने और गाजा में चल रहे युद्ध के विरोध में उठाया गया है. मालदीव के राष्ट्रपति कार्यालय ने इसे ऐतिहासिक निर्णय बताया है.
गाजा में नरसंहार के जवाब में लिया फैसला
मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने मंगलवार को मालदीव आप्रवासन अधिनियम (कानून संख्या 01/2007) में तीसरे संशोधन को मंजूरी दी. राष्ट्रपति कार्यालय के बयान के अनुसार, "मालदीव की संसद ने 15 अप्रैल 2025 को आयोजित वर्ष के पहले सत्र की 20वीं बैठक में इस संशोधन को पारित किया." यह निर्णय इजरायल द्वारा फलस्तीनी लोगों के खिलाफ की जा रही कार्रवाइयों और कथित नरसंहार के जवाब में लिया गया है.
फलस्तीन के प्रति समर्थन
मालदीव सरकार ने फलस्तीनी कारणों के प्रति अपनी अटूट प्रतिबद्धता दोहराई है. राष्ट्रपति कार्यालय ने कहा, "मालदीव सरकार फलस्तीनी लोगों के अधिकारों के संवर्धन और संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है." मालदीव ने संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों और अंतरराष्ट्रीय कानूनी मानदंडों के अनुसार, 1967 से पहले की सीमाओं पर पूर्वी यरुशलम को राजधानी बनाकर एक स्वतंत्र और संप्रभु फलस्तीनी राज्य की स्थापना का समर्थन किया है. सरकार ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इजरायल की कार्रवाइयों की निंदा की है और अंतरराष्ट्रीय कानून के उल्लंघन के लिए जवाबदेही की मांग की है.
इजरायल की प्रतिक्रिया
इजरायल के विदेश मंत्रालय ने इस प्रतिबंध के जवाब में अपने नागरिकों को मालदीव की यात्रा से बचने की सलाह दी है. मंत्रालय ने कहा, "मालदीव में मौजूद इजरायली नागरिकों को वहां से निकलने पर विचार करना चाहिए, क्योंकि किसी भी संकट में उनकी मदद करना मुश्किल होगा."
वैश्विक संदेश
यह निर्णय मालदीव की उस नीति को रेखांकित करता है, जिसमें वह मानवाधिकारों और अंतरराष्ट्रीय कानून के समर्थन में खड़ा है. गाजा में हाल के हमलों, विशेष रूप से राफा में हुए हवाई हमले की निंदा के बाद, मालदीव ने यह स्पष्ट किया है कि वह फलस्तीनी लोगों के साथ मजबूती से खड़ा है.