Toshakhana Corruption Case: पाकिस्तान की सियासत का माहौल इस समय बेहद गर्म है. आम चुनावों से कुछ दिन पहले पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को बड़ा झटका लगा है. तोशाखाना मामले में इमरान खान और उनकी पत्नी बुशरा बीबी को 14 साल जेल की सजा सुनाई है. इस्लामाबाद की एक जवाबदेही अदालत ने इस मामले में सजा का निर्णय सुनाया है. अदालत ने इसके अलावा इमरान और उनकी पत्नी बुशरा बीबी को 10 साल तक किसी भी सार्वजनिक पद पर बहाल होने से भी रोक दिया है. बुधवार को पाक के समाचार चैनल जियो न्यूज ने अपनी रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि की है.
रिपोर्ट के अनुसार, अदालत ने दोनों के ऊपर सामूहिक रूप से 78.7 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया है. बुशरा बीबी अदालत में पेश नहीं हुई थीं. बता दें कि बीते दो दिन के अंदर इमरान खान के लिए यह लगातार दूसरा झटका है. एक दिन पहले ही पाक की विशेष अदालत ने इमरान और पूर्व विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी को साइफर मामले में 10 साल जेल की सजा सुनाई थी.
Imran Khan, Bushra Bibi sentenced to 14 years with rigorous punishment in Toshakhana case, reports Pakistan's Geo News. pic.twitter.com/vBd79s3EDh
— ANI (@ANI) January 31, 2024
तोशाखाना कैबिनेट का एक विभाग है. यहां अन्य देशों की सरकारों, राष्ट्रप्रमुखों और विदेशी मेहमानों द्वारा दिए गए बेशकीमती तोहफों को रखा जाता है. नियमों के तहत बाहर से मिले तोहफों को यहां रखना होता है.
इमरान खान पर आरोप है कि प्रधानमंत्री रहते हुए उन्होंने विदेश यात्राएं की थीं.इस दौरान उन्हें वहां के राष्ट्राध्यक्षों से महंगे तोहफे मिले. इन तोहफों को इमरान ने तोशाखाना में जमा करा दिया. बाद में उन्होंने इन तोहफों को सस्ते दामों में खरीदा और बड़े मुनाफों में बेच दिया.
खास बात यह थी कि यह पूरी प्रक्रिया सरकारी अनुमति के बाद पूरी हुई. इमरान ने सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग को इस बारे में जानकारी भी दी थी कि उन्होंने राज्य के खजाने से इन तोहफों को 2.15 करोड़ रुपये में खरीदा था और इन्हें बेचकर लगभग 5.8 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया था.
अदालत का यह फैसला ऐसे समय आया है जब आठ दिन बाद मुल्क में आम चुनाव होने प्रस्तावित हैं. इमरान खान की पार्टी PTI चुनाव आयोग की सख्ती के बाद भी बगैर चुनाव चिन्ह के चुनाव लड़ रही है. अदालत के ताजा निर्णय के बाद पीटीआई की मीडिया टीम ने कहा कि मुल्क के न्यायिक इतिहास में एक और काला दिन जुड़ गया. अदालती कार्यवाही के दौरान हमें न प्रश्न करने के अधिकार मिला न जवाब देने का मौका. बगैर किसी ठोस जिरह के बाद अदालत ने अपना फैसला सुना दिया. पार्टी की ओर से कहा गया कि इस अदालती निर्णय को चुनौती दी जाएगी. हम हार नहीं मानेंगे. अदालत का यह निर्णय तयशुदा प्रक्रिया के तहत ही सामने आया. जिसमें प्रतिवादी को कोई मौका नहीं दिया गया.