Indian Students In US: अमेरिका में पढ़ाई कर रहे अंतरराष्ट्रीय छात्रों पर अब खतरे की घंटी बज चुकी है. एसोसिएटेड प्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मामूली यातायात उल्लंघन या फिर सोशल मीडिया पर कुछ पोस्ट करने से भी छात्रों का F1 वीजा रद्द किया जा रहा है. भारत सहित कई देशों के छात्रों को इस नई सख्ती का सामना करना पड़ रहा है. कुछ छात्रों को फिलिस्तीन समर्थक आंदोलनों से कोई नाता नहीं था, फिर भी उनके वीजा रद्द किए गए.
बड़े-बड़े विश्वविद्यालयों को भी नहीं मिली जानकारी
बता दें कि हार्वर्ड, स्टैनफोर्ड, मिशिगन यूनिवर्सिटी, यूसीएलए और ओहियो स्टेट जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों ने बताया कि उन्हें छात्रों के वीज़ा रद्द होने की जानकारी फेडरल डेटाबेस से मिली जो बिना किसी आधिकारिक सूचना के है. कई मामलों में अमेरिकी सरकार ने कारण बताना भी जरूरी नहीं समझा, जिससे विश्वविद्यालयों के लिए स्थिति और भी भ्रमित हो गई.
सोशल मीडिया पर 'लाइक' और 'शेयर' भी बन रहे खतरा
Axios की रिपोर्ट के अनुसार, सोशल मीडिया पर हमास या फिलिस्तीनी समर्थन से जुड़े पोस्ट को लाइक या शेयर करने पर भी छात्रों को निशाना बनाया जा रहा है. विदेश विभाग ने कथित तौर पर 'Catch and Revoke' नाम के AI-संचालित प्रोग्राम से छात्रों की ऑनलाइन गतिविधियों पर निगरानी बढ़ा दी है.
भारतीय छात्रों के अनुभव
बताते चले कि रंजनी श्रीनिवासन, जो कोलंबिया यूनिवर्सिटी में पीएचडी कर रही थीं, उनका वीजा रद्द कर दिया गया और उन्हें कनाडा लौटना पड़ा. बदर खान सूरी, जो जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी में पढ़ते हैं, उनको हिरासत में लेकर हमास से कथित संबंधों के आधार पर वीजा रद्द किया गया. सूरी ने इन आरोपों को खारिज किया और कहा कि यह कार्रवाई उनकी पत्नी की फिलिस्तीनी पृष्ठभूमि के चलते की गई.
अमेरिकी सरकार का रुख
हालांकि विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने इस नीति की पुष्टि करते हुए कहा, ''जब भी मुझे इनमें से कोई पागल मिलता है, मैं उसका वीजा छीन लेता हूं.'' उन्होंने बताया कि उनके निर्देश के बाद 300 से ज़्यादा वीजा रद्द किए जा चुके हैं.