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ब्रह्मांड के सबसे खूबसूरत ग्रह पर नहीं जा पाएगा इंसान, शु्क्र पर उतरते ही रोबोट में बदल जाएगी पूरी आबादी

इंसान को शुक्र ग्रह पर जाना आत्मघाती हो सकते हैं. सबसे बड़ा मुद्दा सतह का है जिसका तापमान लगभग 400 डिग्री सेल्सियस है और फिर एक ऐसे ग्रह पर सांस लेने की कोशिश करना जो मुख्य रूप से कार्बन डाइऑक्साइड से बना है.

Photo- Space.com
Gyanendra Sharma

मनुष्य संसार के सभी जगहों पर अपनी पहुंच बनाने के फिराक में लगा हुआ है. हर ग्रह में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं, लेकिन शुक्र ग्रह पर कभी आदमी वास नहीं कर पाएगा. इसकी वजह जानकार आप चौक जाएंगे. मॉस्को एविएशन इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ लेक्चरर इवान रूडोय के अनुसार पृथ्वी के सबसे नजदीकी ग्रह पर रहने की कोशिश करने वाला कोई भी इंसान किसी तरह के आत्मघाती मिशन पर होगा.

सबसे बड़ा मुद्दा सतह का है जिसका तापमान लगभग 400 डिग्री सेल्सियस है और फिर एक ऐसे ग्रह पर सांस लेने की कोशिश करना जो मुख्य रूप से कार्बन डाइऑक्साइड से बना है. सल्फ्यूरिक एसिड से भरे बादलों की एक मोटी परत भी ग्रह के अधिकांश भाग को ढंके हुए है, यही कारण है कि शुक्र ग्रह पर विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र का अभाव है जो पृथ्वी को ब्रह्मांडीय विकिरण की खुराक प्राप्त करने से रोकता है, और यही कारण है कि विशेषज्ञ का दावा है कि शुक्र ग्रह पर हमेशा केवल रोबोटों की ही आबादी रहेगी.

स्टेशन भी खाली टिन के डिब्बे की तरह ढह जाएगा

रूसी समाचार आउटलेट एमके से बात करते हुए उन्होंने कहा कि शायद यह हमेशा ऐसा नहीं होगा, लेकिन निकट भविष्य में निश्चित रूप से क्योंकि मौजूदा तकनीकों के साथ हम ऐसे वातावरण में जीवित रहने की समस्या को हल नहीं कर सकते हैं. थोड़ी सी भी दबाव-हानि या संरचनात्मक स्थिरता की हानि के चलते सबसे शक्तिशाली स्टेशन भी खाली टिन के डिब्बे की तरह ढह जाएगा. यह असंभव है कि कोई भी व्यक्ति ऐसी जोखिम भरी परियोजना में भाग लेना चाहेगा. 

कोशिश करना भी आत्मघाती

कोई मानव इस मिशन का प्रयास करता है तो यह उसकी आखिरी यात्रा होगी,  क्योंकि ग्रह पर वायुमंडलीय दबाव की कमी के कारण कोई भी रॉकेट वहां से बाहर नहीं जा सकेगा. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि जलती हुई गैसों का प्रवाह इंजन से बाहर नहीं निकल पाएगा, जिससे रॉकेट ग्रह की सतह से अलग नहीं हो पाएगा. इंजन एक विशाल वैक्यूम क्लीनर की तरह काम करेगा.