दुनिया के सामने अल्पसंख्यकों का मसीहा बनने वाला चीन खुद अपने देश के अल्पसंख्यकों पर अत्याचार करता है. ये बात किसी से छिपी नहीं है. चीन में उइगर मुसलमानों पर खूब अत्याचार किए जाते हैं. अब चीन ने उनकी संस्कृति को मिटाने के लिए उनसे जुड़े 630 गांवों और कस्बों के नाम बदल दिए हैं. अमेरिकी की ह्यूमन राइट वॉच और नॉर्वे की उइगर हेल्प साथ मिलकर एक रिपोर्ट तैयार की. इस रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है.
इस रिपोर्ट के अनुसार चीन ने उइगर मुसलमानों के लिए धार्मिक, ऐतिहासिक या सांस्कृतिक अर्थ वाले सैकड़ों स्थानों के नाम बदल दिया है. चीन ने उइगर संस्कृति से जुड़े नामों की जगह पर कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े विचारों वाले नाम रखे हैं.
इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीन ने उइगर समुदाय से जुड़े 630 गांवों और कस्बों के नामों को 2017 से 2019 के बीच बदले हैं. रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया गया है कि ये वो दौर था जब चीन के शिंजियांग में उइगर मुसलमानों पर पर अत्याचार अपने चरमोत्कर्ष पर था. उस दौरान इंटरनेशनल मीडिया में इस तरह की खबरें भी चली थी.
ह्यूमन राइट वॉच ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि चीनी के नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टैटिक्स वेबसाइट के जरिए हमें पता चला है कि चीन ने साल 2009 से लेकर 2023 के बीच करीब 3,600 गांवों और कस्बों के नाम बदले हैं. रिपोर्ट में बताया गया है कि इनमें से 630 गांव ऐसे हैं जिनके नाम धार्मिक या सांस्कृतिक कारणों के चलते परिवर्तित किए गए हैं.
होजा, हनीका, मजार जैसे गांवों के नाम को बदल दिया गया है. ये गांव सीधे तौर पर मुस्लिम संस्कृति से जुड़े हुए थे. इनके नाम को खुशी, एकता जैसे नाम रखें गए हैं. ये नाम चीनी मंदारिन भाषा में रखे गए हैं.
HRW की डायरेक्टर माया वांग के अनुसार ये नाम उइगर मुसलमानों के लिए एक खास अर्थ रखते थे. लेकिन चीनी सरकार उइगर मुसलमानों की संस्कृति जड़ से मिटाना चाहती है. इसलिए वह इस समुदाय से जुड़े गांव और शहरों के नाम को बदल रही है. चीनी सरकार इस्लाम से जुड़े किसी भी चीज को बहुत ही खतरनाक मानती है.
चीन की नाम बदलने की आदत पुरानी रही है. शहरों और गांवों के नाम बदलकर चीन उसे अपनी संस्कृति में शामिल करने की कोशिश करता है. 2023 में चीन ने तिब्बत का ही नाम बदल दिया था. उसने तिब्बत को शीजांग नाम दिया था. वह भारत के अरुणाचल प्रदेश को अपना बताता रहता है. और वह अरुणाचल प्रदेश के शहरों के नाम को बदलता रहता है.