यमन के पश्चिमी तट पर स्थित रास इसा तेल बंदरगाह पर 18 अप्रैल 2025 को अमेरिकी हवाई हमलों के बाद विशाल आग की लपटें उठती दिखीं. यह बंदरगाह यमन की अर्थव्यवस्था और मानवीय सहायता के लिए महत्वपूर्ण है, जहां से देश का 70% आयात और 80% मानवीय सहायता आती है. इन हमलों ने क्षेत्र में तनाव को और बढ़ा दिया है, जिससे यमन में पहले से जारी मानवीय संकट और गहरा गया है.
अमेरिकी हमलों का उद्देश्य
अमेरिकी सेना की सेंट्रल कमांड (CENTCOM) ने हमलों की पुष्टि करते हुए कहा, "अमेरिकी बलों ने ईरान समर्थित हूती आतंकवादियों के लिए ईंधन के इस स्रोत को समाप्त करने और उनकी उस अवैध आमदनी को रोकने के लिए कार्रवाई की, जिससे वे पिछले 10 वर्षों से पूरे क्षेत्र में आतंक फैला रहे हैं." CENTCOM ने आगे कहा, "इस हमले का उद्देश्य यमन के लोगों को नुकसान पहुंचाना नहीं था. यमन के लोग हूती की अधीनता से वास्तव में आजादी चाहते हैं और शांति से रहना चाहते हैं."
Huge fires rage at Yemen's Ras Isa port after US attacks
— RT (@RT_com) April 17, 2025
The port provides Yemen with up to 80% of humanitarian assistance and 70% of imports pic.twitter.com/sZ8wjG97MA
हमलों का भीषण परिणाम
हूती समर्थित अल-मसीरा चैनल ने हमले के बाद की ग्राफिक फुटेज प्रसारित की, जिसमें जलते ट्रक, मलबा और बिखरे शव दिखाई दिए. हूती अधिकारी मोहम्मद नासिर अल-अतीफी ने कहा, "यह हमला यमनी लोगों को गाजा का समर्थन करने से नहीं रोकेगा, बल्कि उनके संकल्प को और मजबूत करेगा." हमलों में बंदरगाह कर्मचारी और ट्रक चालक भी प्रभावित हुए. अलअसबाही ने बताया, "सिविल डिफेंस की रेस्क्यू टीम और पैरामेडिक्स पीड़ितों की तलाश और आग बुझाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं."
मानवीय सहायता पर असर
रास इसा बंदरगाह यमन के लिए जीवनरेखा है. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, यमन में 80% आबादी सहायता पर निर्भर है. इन हमलों से आपूर्ति श्रृंखला बाधित होने का खतरा है, जिससे भोजन, पानी और चिकित्सा सहायता की कमी हो सकती है.
क्षेत्रीय तनाव में वृद्धि
हमलों के बाद हूतियों ने जवाबी कार्रवाई की धमकी दी है, जिससे लाल सागर में वैश्विक व्यापार और सुरक्षा को खतरा बढ़ गया है. यह स्थिति यमन के लोगों के लिए और कठिनाइयां ला सकती है.