ईरान के राष्ट्रपति चुनाव में मसूद पजशकियान ने बाजी मारी है. वह इकलौते सुधारक उम्मीदवार थे. पजशकियान ने चुनाव में लगभग 53.6 फीसदी वोट हासिल करके राष्ट्रपति पद का चुनाव जीतकर उन्होंने रूढ़िवाद उम्मीदवार सईद जलील को मात दी. पजशकियान की जीत से ईरान में सालों बाद सुधार की गुंजाइश जागी है.
मसूद पजशकियान की जीत ने ईरान में वर्षों तक रूढ़िवादी और अति रूढ़िवादी खेमों के प्रभुत्व को खत्म कर दिया है. हालांकि उनके सत्ता में आने से निकट भविष्य में भारत के साथ ईरान के द्विपक्षीय संबंधों पर कोई खास असर पड़ने की संभावना दिखाई नहीं दे रही है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मसूद पजशकियान को राष्ट्रपति बनने की बधाई दी है. पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा- मसूद पजशकियान को इस्लामी गणतंत्र ईरान के राष्ट्रपति के रूप में बधाई. हम अपने लोगों और क्षेत्र के लाभ के लिए हमारे मधुर और दीर्घकालिक द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने के लिए आपके साथ मिलकर काम करने के लिए उत्सुक हैं."
मसूद पजशकियान ने ईरान को दुनिया के लिए खोलने और अधिक स्वतंत्रता देने का वादा किया किया है. पजशकियान ने सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई को राज्य के मामलों में अंतिम प्राधिकारी के रूप में मान्यता दी है.
रिफॉर्म की बात करने वाले मसूद पजशकियान ईरान की नीतियों में बदलाव कर सकते हैं. खुले विचारों वाले पजशकियान ईरान में हेडस्कार्फ लगाने वाले अनिवार्य कानून में ढिलाई दे सकते हैं. लेकिन ईरान की विदेश नीति में वह बदलाव ला पाएंगे या नहीं इस बात पर कुछ नहीं कहा जा सकता. क्योंकि सच्चाई यह कि सरकार कट्टरपंथियों द्वारा नियंत्रित रहती है.
भारत, ईरान के लिए एक मुख्य तेल निर्यातक है. पश्चिमी देशों ने ईरान पर कई तरह के प्रतिबंध लगा रखे हैं ऐसे में ईरान भारत को निर्यात किए जाने वाले क्रूड ऑयल में इजाफा कर सकता है.
हाल ही के वर्षों में भारत और ईरान ने अपने संबंधों को और मजबूत और प्रगाढ़ बनाए हैं. दोनों देश चाबहार बंदरगाह के विकास के लिए एक दूसरे का सहयोग कर रहे हैं. इसके अलावा दोनों देश उत्तर-दक्षिण ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (INSTC) और ईरान के जरिए रूस और भारत को जोड़ने वाले मल्टी मॉडल ट्रांसपोर्टेशन गलियारे पर सहयोग कर रहे हैं.
मसूद पजशकियान से ये उम्मीद की जा रही है कि वह भारत और ईरान के बीच आर्थिक संबंधों को बनाए रखने के साथ और गहरे करेंगे. उनका फोकस चाबहार बंदरगाह पर जरूर होगा. यह बंदरगाह भारत से अफगानिस्तान और सेंट्रल एशिया को जोड़ने में अहम प्रोजेक्ट है. उनके इस परियोजना में बने रहना सहयोग और निवेश को आगे बढ़ाने की संभावना है.