menu-icon
India Daily

रिसर्च से खुल गया राज! आखिर कैसे बने मिस्त्र के बड़े पिरामिड?

Mystery of Pyramids: सदियों से मिस्र के पिरामिड रहस्य में डूबे रहे हैं. वैज्ञानिक इन विशाल संरचनाओं को बनाने के पीछे के उद्देश्य और निर्माण तकनीकों जैसे सवालों का जवाब खोजने के लिए संघर्ष कर रहे थे.

auth-image
Edited By: India Daily Live
Mystery of Pyramids

Mystery of Pyramids: सदियों से, मिस्र के पिरामिड अपनी विशालता और रहस्यों के लिए विख्यात रहे हैं. इन अद्भुत संरचनाओं को बनाने के पीछे का उद्देश्य, भारी पत्थरों का परिवहन, और उनके स्थान का चुनाव सदैव वैज्ञानिकों के लिए सिरदर्द रहे हैं.

लेकिन अब, एक नए रिसर्च ने इन रहस्यों का पर्दाफाश करने का दावा किया है. वैज्ञानिकों ने पिरामिडों में से एक के पास एक अद्भुत खोज की है जो इस प्राचीन पहेली को सुलझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.

रिसर्च से खुल गया राज

रिसर्चर्स का मानना ​​है कि ये अद्भुत स्मारक नील नदी के पश्चिमी तट पर एक खूबसूरत पट्टी के साथ संरेखित थे. यह खोज एक चौंकाने वाली एल-आकार की संरचना की खोज के बाद हुई है, जिसे एक छिपे हुए कब्रिस्तान के रूप में माना जाता है. यह रहस्यमय स्थान लंबे समय से वैज्ञानिकों को भ्रमित करता रहा है, क्योंकि पिरामिडों को पानी से मीलों दूर बनाया गया था. नॉर्थ कैरोलिना विश्वविद्यालय, विलमिंगटन के रिसर्चर्स का मानना ​​है कि उन्होंने इसका कारण ढूंढ लिया है.

पानी का बड़ा जाल, पत्थरों को ढोने का रास्ता

कुल 31 पिरामिड, जो समानांतर रूप से चलते हैं, लेकिन नील नदी से कुछ दूरी पर स्थित हैं. नए रिसर्च से पता चलता है कि इनका निर्माण नदी के 64 किलोमीटर के एक अलग हिस्से के साथ किया गया होगा, जो मुख्य धारा से निकलता है. यह दावा मिट्टी के नमूनों और उपग्रह चित्रों के विश्लेषण पर आधारित है, जो "अहरामत" नामक एक सूखे जलमार्ग की ओर इशारा करते हैं.

रिसर्च के रिसर्चर्स ने लिखा है, "पुराने और मध्य साम्राज्यों के कई पिरामिडों में नहरें हैं जो इस शाखा तक जाती हैं और घाटी मंदिरों पर समाप्त होती हैं, जो अतीत में नदी बंदरगाहों के रूप में काम कर सकती थीं."

कैसे हुआ पिरामिडो का निर्माण

रिसर्चर्स का मानना ​​है कि अहरामत शाखा ने स्मारकों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई होगी. इसका उपयोग मजदूरों और निर्माण सामग्री को पिरामिड स्थलों तक ले जाने के लिए एक जलमार्ग के रूप में किया जाता था. यह रिसर्च नील नदी की प्राचीन शाखाओं का पहला व्यापक मानचित्र भी प्रस्तुत करता है और इसे मिस्र के सबसे बड़े पिरामिड क्षेत्रों से जोड़ता है.

उदाहरण:

कल्पना कीजिए, विशाल पत्थरों के ब्लॉक, जिनका वजन सैकड़ों टन तक था, पानी के माध्यम से कैसे ले जाया जाता होगा? शायद नावों या लकड़ी के राफ्ट का उपयोग किया गया होगा, या फिर वैज्ञानिकों का अनुमान है कि विशाल नहरों का निर्माण किया गया होगा जो अहरामत शाखा को पिरामिड स्थलों से जोड़ती थीं.

यह जलमार्ग न केवल परिवहन को आसान बनाता होगा, बल्कि भारी पत्थरों को खींचने के लिए आवश्यक श्रम शक्ति को भी कम करता होगा.

भविष्य के लिए खोली नई राह

हालांकि यह रिसर्च पिरामिडों के निर्माण से जुड़े एक महत्वपूर्ण रहस्य को उजागर करता है, फिर भी कई सवालों के जवाब बाकी हैं. पुरातत्वविदों को अभी भी यह पता लगाना है कि अहरामत शाखा को कैसे बनाया और बनाए रखा गया था. क्या इसका निर्माण पिरामिड निर्माण परियोजना के लिए ही किया गया था, या इसका अन्य उद्देश्य भी थे?

इस खोज से यह भी पता चलता है कि नील नदी के आसपास का पूरा क्षेत्र, जैसा कि हम आज जानते हैं, शायद प्राचीन मिस्रवासियों के लिए काफी अलग था. भविष्य के रिसर्च से उम्मीद है कि नदी प्रणाली के इस खोए हुए हिस्से और इसके आसपास के बस्तियों के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त होगी.

समय में हो जाती है वापसी

यह नया रिसर्च हमें समय पर वापस ले जाता है, प्राचीन मिस्र के लोगों के इंजीनियरिंग कौशल और उनकी असाधारण संगठनात्मक क्षमता की झलक दिखाता है. उन्होंने न केवल विशाल पिरामिड बनाए, बल्कि परिवहन के लिए एक जटिल जल प्रणाली भी विकसित की.

यह खोज हमें यह भी याद दिलाती है कि इतिहास अक्सर रहस्यों से भरा होता है. जो कुछ हम देखते हैं या जानते हैं वह पूरी कहानी नहीं हो सकती. नए वैज्ञानिक तरीकों और निरंतर अनुसंधान के माध्यम से, हम अतीत की गुत्थियों को सुलझाना और प्राचीन दुनिया की जटिलताओं को बेहतर ढंग से समझना जारी रख सकते हैं.