US सीक्रेट सर्विस कैसे करती है अमेरिका के राष्ट्रपति-पूर्व राष्ट्रपतियों की हिफाजत? समझिए एक-एक डीटेल
दुनिया में अगर किसी भी तरह के हमले से सबसे ज्यादा सुरक्षित राष्ट्राध्यक्ष होता है तो वह अमेरिका का ही होता है. अमेरिकी राष्ट्रपतियों और पूर्व राष्ट्रपतियों की सुरक्षा कई स्तरों में की जाती है. उनके एक जगह बैठने से लेकर खड़े रहने तक का एक सेट प्रोटोकॉल होता है. वे अपने कार्यकाल के दौरान, केवल अपने ही सुपर सेफ गाड़ियों से यात्रा करते हैं, उनकी एविएशन टीम होती है, सिक्योरिटी गार्ड्स होते हैं, चाहे वे किसी भी दूसरे देश में ही क्यों न चले जाएं. उनकी सिक्योरिटी प्रोटोकॉल बहुत टाइट होती है. आइए जानते हैं, कैसे उनकी हिफाजत की जाती है.
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लिए शनिवार का दिन ठीक नहीं रहा. उन पर गोली चली, संयोग से वे बचने में कामयाब रहे. यूएस सिक्योरिटी सर्विस ने ऐसे मोर्चा संभाला कि हमलावर कुछ सेकेंड्स में ढेर हो गया और अमेरिकी राष्ट्रपति का बाल भी बांका नहीं हुआ. उनके कान के पास से गुजरते हुए गुजरी, जिसके तत्काल बाद डोनाल्ड ट्रंप नीचे झुके. जब उठे तो उनका चेहरा खून से लथपथ था. कान पर खून से छींटे, चेहरे लाल और घबराहट में लड़खड़ाती जुबान, ऐसा चेहरा, डोनाल्ड ट्रंप का किसी ने नहीं देखा होगा. दशकों बाद, ऐसा देखा गया कि किसी अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति की सुरक्षा में सेंध लगी हो. यूएस सीक्रेट सर्विस के काम करने का तरीका ऐसा है कि यह कहावत सच लगती है कि बिना उनकी मर्जी के परिंदा पर भी नहीं मार सकता है. शायद ऐसा ही है, तभी जैसे ही ट्रंप पर हमला हुआ, कुछ सेंकेड्स के भीतर ही हमलावर ढेर हो गया. ढेर होना काफी नहीं है. ये अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति की सुरक्षा थी, जिसमें चूक की गुंजाइश ही नहीं बनती है.
डोनाल्ड ट्रंप, रिपब्लिकन उम्मीदवार हैं. उन्हें दोहरे स्तर की सुरक्षा मुहैया कराई जा रही है. उनकी रैली में ही गोली चली तो सवाल, सीक्रेट सर्विस एजेंसी पर उठे. हमले के तत्काल बाद ही सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें घेर लिया. कई स्तर की सुरक्षा उन्हें तत्काल मुहैया कराई गई. स्टेज पर अलग गार्ड्स नजर आए, नीचे अलग. ऐसा लगा कि सिर्फ कुछ सुरक्षाकर्मी नहीं, सुरक्षाकर्मियों की एक पूरी टोली उनके साथ चलती हो. ऐसा मंजर, बेहद कम नजर आता है. आइए जानते हैं अमेरिका की सीक्रेट सर्विस एजेंसी, कैसे काम करती है, कैसे पूर्व राष्ट्रपतियों और राष्ट्रपतियों को सुरक्षा मिल पाती है.
कैसे होती है अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति-राष्ट्रपति की हिफाजत? समझिए
अमेरिका की सीट्रेक सर्विस एजेंसी के पास पूर्व राष्ट्रपतियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी होती है. यह अमेरिका की सबसे पुरानी, कानूनी एजेंसी है. साल 1965 में पहली बार, अमेरिकी कांग्रेस ने पब्लिक लॉ 89-186 के तहत, सीक्रेट सर्विस का गठन किया. इस एजेंसी का मकसद, पूर्व राष्ट्रपति, उनकी पत्नी या पति की हिफाजत करना था. जब तक कि पूर्व राष्ट्रपति इनकार न कर दें, तब तक, यह सर्विस दी जाती है.
अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति कहां जाएंगे, कितनी भीड़ होगी, खतरे की कितनी आशंका होती है, इन सबके बारे में पहले ही खुफिया एजेंसियों से इनपुट लिया जाता है. वे लगातार मिल रही धमकियों पर नजर रखते हैं, स्थानीय पुलिस से लेकर केंद्रीय एजेंसियों तक के संपर्क में रहते हैं. हर दिन, राज्य, केंद्र और स्थानीय एजेंसियां, उन्हें हर प्रस्तावित इवेंट के बारे में जानकारियां शेयर करते हैं.
अमेरिका की सीक्रेट सर्विस यूनिफॉर्म्ड डिवीजन, मेट्रोपोलिटन पुलिस डिपार्टमें, यूएस पार्क पुलिस पेट्रोल जैसी एजेंसियां, लगातार एक-दूसरे से कनेक्टेड रहती हैं. इनके पास सभी अत्याधुनिक उपकरण होते हैं, एक्सपर्ट से इन्हें ऑपरेट करने की ट्रेनिंग लेते हैं. इन एजेंट्स के पास भी अत्याधुनिक हथियार होते हैं, जो कुछ सेंकेड्स में बड़े से बड़े हमले को खत्म कर सकते हैं. उनका कम्युनिकेशन सिस्टम, बेहद सक्रिय रहता है.
जहां-जहां राष्ट्रपति जाते हैं, वहां सीक्रेट सर्विस की एक एडवांस टीम पहले ही पहुंचकर कमान संभाल चुकी होती है. शहर, राज्य और केंद्रीय एजेंसियों की एक टुकड़ी, वहां अपना काम शुरू कर चुकी होती है. लोगों से पूछताछ, मुसाफिरों पर नजर, चप्पे-चप्पे पर नजर, ये इन एजेंट्स के लिए बेहद आम चीजें हैं. अगर उन्हें जरूरत लगती है कि मूवमेंट रोक देनी है, तो तत्काल, रोक दिया जाता है.
अमेरिकी राष्ट्रपति लिमोजीन गाड़ियों में चलते हैं. वे किसी भी वेन्यू में 45 मिनट से ज्यादा खुली छत वाले वेन्यू में नहीं रह सकते हैं. राष्ट्रपति हमेशा 6 बोइंग सी 17 विमान में उड़ते हैं. इनमें कारें और हेलीकॉप्टर भी रखी होती हैं. अमेरिका की सभी टॉप एजेंसियों के खुफिया अधिकारी उनके साथ चलते हैं.
'चक्रव्यूह' की तरह रची जाती है सुरक्षा व्यवस्था, हमलावर का मरना तय!
रोनाल्ड केसलर की किताब 'इन द प्रेसीडेंट सीक्रेट सर्विस' में दावा किया गया है कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति और राष्ट्रपति, आतंकियों के हमेशा निशाने पर रहते हैं. दुनिया के सारे विवादित देशों में, अमेरिका की एक टुकड़ी मौजूद होती है. अमेरिका की नीतियां विश्व राजनीति की दिशा तय करती हैं, ऐसे में उन्हीं के राष्ट्रपति पर खतरा भी सबसे ज्यादा होता है. सीक्रेट सर्विस के एजेंट, चक्रव्यूह की तरह अपने राष्ट्रपति को घेरे रहते हैं. इनकी सुरक्षा में कम से कम 75 लोग लगे होते हैं. इनका अरेंजमेंट वृत्त की तरह होता है.
पूर्व राष्ट्रपति के साथ हमेशा 4 गार्ड मौजूद रहते हैं. मौजूदा राष्ट्रपति की सुरक्षा व्यवस्था और ज्यादा मजबूत होती है. उनके कहीं जाने से पहले वेन्यू को चेक किया जाता है. दर्शकों को भी जरूरत पड़ने पर चेक किया जाता है. वे एक पोजीशन में एक जगह ज्यादा देर तक खड़े नहीं रह सकते हैं. स्टाफ की चेकिंग होती है. वेन्यू की जांच की जाती है. खोजी कुत्तों की एक फौज, पहले घटनास्थल में बम की जांच करती है. एंटी बम स्क्वाड भी साथ चलती है.
डोनाल्ड ट्रंप के मामले में क्यों फेल हुई एजेंसी?
डोनाल्ड ट्रंप, अमेरिका के संभावित राष्ट्रपति हैं. ऐसे इशारे मिल रहे हैं कि जो बाइडेन सत्ता गंवा सकते हैं. ऐसे में राष्ट्रपति उम्मीदवार होने की वजह से उनकी सुरक्षा और बढ़ा दी गई है. ट्रंप अलग-अलग लोकेशन पर बार-बार प्रचार के लिए जा रहे हैं, ऐसे में सीक्रेट सर्विस के अधिकारियों को बार-बार अलग-अलग जगह की छानबीन करनी पड़ रही है. अमेरिका के कई पूर्व राष्ट्रपतियों ने आम जीवन चुना है लेकिन डोनाल्ड ट्रंप, दोबारा राष्ट्रपति बनने का सपना देख रहे हैं. सीक्रेट सर्विस ट्रंप का ख्याल रख रही है, यह जिम्मेदारी किसी और को सौंपने के लिए एजेंसी तैयार नहीं है.
ट्रंप की रैलियों में बड़ी भीड़ जुटती रही है. लोकल पुलिस सीक्रेट सर्विस को मदद मुहैया कराती है. पहले ही लोकल पुलिस छानबीन करती है, फिर सीक्रेस सर्विस के एजेंट्स. बम, हथियार सबकी जांच की जाती है. डोनाल्ड ट्रंप, हमेशा सघन सुरक्षा के घेरे में रहते हैं. यह पहली बार है, जब उन पर ऐसा हमला हुआ है. सवाल उठ रहे हैं, अगर सभी दर्शकों की सघन जांच की जाती, मेटल टेस्ट किया जाता, वेन्यू को चेक किया जाता तो शायद हथियारबंद शख्स की एंट्री, वहां नहीं हो पाती. अमेरिका के 4 दशकों के इतिहास में ये सबसे बड़ी चूक है. रैली में हथियारबंद शख्स कैसे पहुंच गया, ये सवालों के घेरे में है.
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