लंबी अदावत के बाद अब ईरान और इजरायल युद्ध के मैदान में आमने-सामने हैं. दोनों तरफ से मिसाइलें दागी जा रही हैं और युद्ध शुरू हो चुका है. रूस-यूक्रेन और इजरायल-हमास के संघर्ष से पहले ही सहमी दुनिया की चिंताएं अब और बढ़ गई हैं. जैसी आशंका जताई जा रही थी अब इस युद्ध का असर शेयर मार्केट पर भी पड़ने लगा है. दुनियाभर के शेयर बाजार ढलान की ओर चल पड़े हैं. इस युद्ध में ईरान के शामिल होने के चलते कच्चे तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं. वहीं, दुनिया के कई देशों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है. इसका असर भारत के शेयर मार्केट पर भी पड़ रहा है.
आज सुबह मार्केट खुलने के साथ ही सेंसेक्स 929 प्वाइंट नीचे यानी 73315 के स्तर पर खुला. ज्यादातर स्टॉक भी रेड मार्क में दिख रहे हैं. भारत के अलावा जापान के निक्केई में 225 अंकों की गिरावट देखी गई. वहीं, साउथ कोरिया का कोस्पी 0.92 प्रतिशत और कोस्डैक 1.58 प्रतिशत डाउन रहा. अमेरिकी शेयर मार्केट भी 475 अंक टूटा. कमोबेश यही हाल दुनिया के ज्यादातर देशों के शेयर बाजार का चल रहा है.
ईरान, समेत खाड़ी के कई देश ऐसे हैं जो दुनियाभर को कच्चे तेल की आपूर्ति करते हैं. इस कच्चे तेल का इस्तेमाल ईंधन के रूप में डीजल-पेट्रोल और अन्य पेट्रोलियम उत्पाद बनाने में किया जाता है. भारत में कई पेट्रोलियम कंपनियां ऐसी हैं जो सभी शेयर मार्केट की शीर्ष कंपनियों में शामिल होती हैं. युद्ध के हालात में तेल कंपनियों के लिए तेल की मांग और आपूर्ति संतुलित कर पाना काफी मुश्किल हो सकता है, ऐसे में इनके स्टॉक भी स्थिर नहीं रह पाएंगे.
युद्ध जारी रहने पर आपूर्ति न हो पाने पर कच्चे तेल की कीमतें बढ़ेंगी और इसका सीधा असर भारतीय पेट्रोलियम कंपनियों HPCL, IOCL, BPCL पर भी पड़ेगा. ऐसे में जैसे-जैसे कीमतें बढ़ेंगी आयात पर खर्च भी बढ़ता जाएगा. बता दें कि रबर, गैस और कई अन्य उत्पाद भी पेट्रोलियम जैसे उत्पादों से बनाए जाते हैं. ऐसे में टायर जैसी चीजों के दाम पर भी असर पड़ेगा और इन कंपनियों के शेयरों के दाम पर भी बुरा असर पड़ेगा.
इजरायल में हाइफा पोर्ट का मालिकाना अधिकार भारत की अडानी पोर्ट्स के पास है. अडानी पोर्ट्स तेजी से बढ़ती कंपनी है और आने वाले समय में इसकी ग्रोथ को देखते हुए निवेशकों ने इसमें खूब पैसे भी लगाए हैं. युद्ध की वजह से अगर पोर्ट को नुकसान पहुंचता है या इसका ऑपरेशन बाधित होता है तो शेयर मार्केट और निवेशकों को भी नुकसान उठाना पड़ सकता है?
इन कंपनियों के अलावा कई दवा कंपनियां, पेट्रोलियम कंपनियां, पेंट कंपनियां, टायर कंपनियां भी अपने कच्चे माल के लिए खाड़ी देशों पर निर्भर हैं. ऐसे में युद्ध इनके स्टॉक को हिलाकर रख देगा. युद्ध से न सिर्फ स्टॉक पर असर पड़ेगा बल्कि लंबा युद्ध चलने पर आम जनता को कई चीजों के लिए समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है.