H-1B वीजा से जुड़ा यह विवाद सभी को चौंका गया. यह मुद्दा पूरी तरह से अप्रत्याशित था, क्योंकि इससे पहले तक अमेरिका के प्रवासन पर चर्चा अवैध प्रवासियों पर केंद्रित थी. फिर अचानक एक कानूनी मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करना और उसे विवादित बनाना हैरान करने वाला था. यह मामला क्रिसमस जैसे व्यस्त दिन पर सामने आया, जब भारतीय मूल के श्रीराम कृष्णन को ट्रंप प्रशासन के लिए एआई सलाहकार नियुक्त किया गया था.
यह विवाद सोशल मीडिया पोस्ट्स से शुरू हुआ, जो एक प्रमुख रिपब्लिकन पार्टी कार्यकर्ता द्वारा शेयर किए गए थे. हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि इस विवाद की शुरुआत उस कार्यकर्ता ने की थी या फिर उसने इसे बढ़ावा दिया. जैसे-जैसे श्रीराम कृष्णन की नियुक्ति और H-1B वीजा के मुद्दे पर ध्यान हटने लगा, सोशल मीडिया पर विवादों की लहर बढ़ी. सबसे बड़ा विवाद यह था कि रिपब्लिकन पार्टी के MAGA (Make America Great Again) समर्थक अब कानूनी प्रवासियों के प्रति असंतुष्ट थे, जबकि चुनाव में अवैध प्रवास को रोकने का मुद्दा प्रमुख था.
यह विवाद जल्द ही हिंदू विरोधी प्रचार में बदल गया. सोशल मीडिया पर भारतीयों (विशेषकर हिंदुओं) के खिलाफ नफरत भरे संदेशों की बाढ़ आ गई. यह विवाद अचानक एलोन मस्क और विवेक रामस्वामी पर केंद्रित हो गया, जिनके खिलाफ गलत सूचना फैलानी शुरू हो गई. यहां यह समझना जरूरी है कि यह नफरत भरी टिप्पणियाँ केवल भारतीय H-1B वीजा धारकों तक सीमित नहीं थीं, बल्कि इसका सीधा हमला हिंदू धर्म और भारतीयों पर था.
इस विवाद को और भी जटिल तब बनाया गया, जब कुछ बोट्स और फर्जी अकाउंट्स ने हिंदू धर्म और भारतीय संस्कृति के खिलाफ अपमानजनक मीम्स पोस्ट करना शुरू कर दिया. हकीकत में, इस H-1B विवाद का असली उद्देश्य एलोन मस्क और विवेक रामस्वामी जैसे व्यक्तियों पर हमला करना था, जो सरकार में आने वाले उच्च पदों पर आसीन होने वाले थे. इसके जरिए यह संदेश दिया जा रहा था कि ये लोग अमेरिका में सस्ते श्रमिकों का आयात कर रहे हैं.
अमेरिका में कानूनी प्रवास और अवैध प्रवास दोनों पर काम करने की आवश्यकता है. ट्रंप प्रशासन के आने के साथ, यह मुद्दा दोनों स्तरों पर हल किया जाएगा. H-1B वीजा की प्रक्रिया में सुधार और दक्षिणी सीमा पर अवैध प्रवासियों को रोकने की दिशा में कदम उठाए जाएंगे. यह प्रशासन के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती होगी, जिसे सुलझाने के लिए व्यापक सुधारों की जरूरत है.