वैज्ञानिकों ने हर्पीज वायरस को लेकर एक गंभीर चेतावनी जारी की है. शोध में पता चला है कि यह वायरस, जो आमतौर पर यौन संबंधों से फैलता है, नाक के जरिए शरीर में प्रवेश कर दिमाग को नुकसान पहुंचा सकता है. इससे न सिर्फ सूजन की समस्या हो सकती है, बल्कि यह डिमेंशिया जैसी गंभीर बीमारी का कारण भी बन सकता है.
हर्पीज वायरस का खतरा
दिमाग पर असर कैसे पड़ता है?
शोध के प्रमुख प्रोफेसर दीपक शुक्ला के अनुसार, मानव शरीर में मौजूद एक एंजाइम हेपारानेस (एचपीएसई) इस खतरे को बढ़ा सकता है. यह एंजाइम सामान्य रूप से चीनी जैसे अणुओं को तोड़ता है, लेकिन हर्पीज वायरस इसे प्रभावित कर सूजन पैदा करता है. अगर यह वायरस दिमाग तक पहुंच जाए, तो यह एन्सेफलाइटिस (दिमाग की सूजन) का कारण बन सकता है. लंबे समय तक यह स्थिति अल्जाइमर जैसी बीमारियों को भी जन्म दे सकती है.
कितना बड़ा है खतरा?
दुनियाभर में 50 साल से कम उम्र के लगभग 3.8 अरब लोग एचएसवी-1 से संक्रमित हैं, जो इस आयु वर्ग का 64% है. ज्यादातर लोगों में यह कोई बड़ी समस्या नहीं पैदा करता, लेकिन नाक के जरिए दिमाग तक पहुंचने पर यह खतरनाक हो सकता है. शोध में चूहों पर प्रयोग के दौरान पाया गया कि नाक से संक्रमित चूहों में गंभीर लक्षण दिखे. इनमें याददाश्त कम होना, चिंता, और चलते समय संतुलन खोना शामिल था. मृत चूहों के दिमाग में मृत कोशिकाएं भी पाई गईं.
लक्षण और बचाव
प्रोफेसर शुक्ला ने कहा, "नाक के रास्ते वायरस का असर लंबे समय तक रहता है, जो चिंताजनक है." इसके शुरुआती लक्षणों में बुखार और सिरदर्द शामिल हैं. अगर इन्हें नजरअंदाज किया जाए, तो दौरे, भ्रम, और कोमा जैसी गंभीर स्थिति पैदा हो सकती है. अगर आपको मुंह या जननांगों के आसपास छाले, सूजन या घाव दिखें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.
सुरक्षित रहने के उपाय
हर्पीज से बचने के लिए सुरक्षित सेक्स सबसे जरूरी है. संक्रमण के दौरान संपर्क से बचें और अपने पार्टनर से खुलकर बात करें. एंटी-वायरल दवाओं से इसे नियंत्रित किया जा सकता है, लेकिन यह आसानी से फैलता है, इसलिए सावधानी बरतना जरूरी है. प्रोफेसर शुक्ला का मानना है कि नाक से होने वाले हर्पीज के मामले अभी जितने रिपोर्ट हो रहे हैं, उससे कहीं ज्यादा हो सकते हैं.
यह शोध एक बड़ी चेतावनी है कि हर्पीज को हल्के में न लें. सही जानकारी और सावधानी से इस खतरे को कम किया जा सकता है.