Harvard University: हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने हाउटन लाइब्रेरी में रखी 19वीं सदी की एक किताब में इस्तेमाल की गई मानव त्वचा से बनी बाइंडिंग को हटा दिया गया है. बुधवार को जारी एक बयान में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने कहा कि उसने पुस्तक की उत्पत्ति और उसके बाद के इतिहास की नैतिक रूप से भयावह प्रकृति के कारण ऐसा निर्णय लेने का फैसला किया है. डेस डेस्टिनीज डेल अमे (डेस्टिनीज ऑफ द सोल) नाम की बुक जिसे फ्रांसीसी नोबेल राइटर आर्सेन हौस्से ने 1800 के दशक में लिखा था.
हार्वर्ड लाइब्रेरी में रखी बुक की मूल प्रति फ्रांस के चिकित्सक और पुस्तक प्रेमी डा. लुडोविक बौलैंड की थी. बौलैंड जिस अस्पताल में काम करते थे वहां मृत महिला रोगी की स्किन से पुस्तक की जिल्द बनाई थी. यूनिवर्सिटी ने कहा कि उन्होंने यह कदम बगैर सहमति के उठाया था. रिपोर्ट के अनुसार, यह पुस्तक साल 1934 से हार्वर्ड लाइब्रेरी में मौजूद थी लेकिन इसमें मानव अवशेष इस्तेमाल होने की पुष्टि नहीं हो सकी थी.
साल 2014 में पहली बार यूनिवर्सिटी ने अपने ब्लॉग पोस्ट में बुक बाइंडिंग की सच्चाई के बारे में घोषणा की थी जिसके बाद यह मामला वैश्विक सुर्खियों के केंद्र में आ गया था. एक दशक पुरानी पोस्ट को याद करते हुए यूनिवर्सिटी ने कहा कि साइंटिफिक एनालिसिस होने के बाद बुक के मानव त्वचा से बाइंड होने की बात सामने आई है.
रिपोर्ट के अनुसार, हार्वर्ड लाइब्रेरी के बयान में यह भी कहा गया है कि मानव त्वचा बंधन को हटाना हाउटन लाइब्रेरी द्वारा पुस्तक के प्रबंधन की समीक्षा के बाद किया गया फैसला है. बयान में यह भी कहा गया है कि यूनिवर्सिटी के अधिकारी इन मानव अवशेषों का अंतिम सम्मानजनक स्वभाव निर्धारित करने की कोशिश कर रहे हैं.