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India Daily

बांग्लादेश में बढ़ता कट्टरपंथ, महिलाओं के फुटबॉल खेलने पर लगा इस्लाम विरोधी ठप्पा

बांग्लादेश में इस्लामी कट्टरता का प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है. हाल ही में स्थानीय मदरसा के छात्रों और शिक्षकों के विरोध के चलते महिलाओं के फुटबॉल मैच को रद्द करना पड़ा. इस घटना के बाद बांग्लादेश धीरे-धीरे तालिबान शासित अफगानिस्तान की राह पर बढ़ रहा है.

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Edited By: Ritu Sharma
womens football controversy in Bangladesh
Courtesy: social media

Bangladesh Radicalism: बांग्लादेश में चरमपंथियों का दबदबा बढ़ता जा रहा है. अब महिलाओं का फुटबॉल खेलना इस्लाम विरोधी करार दिया गया है. कट्टरपंथियों के दबाव में महिला फुटबॉल मैच को रद्द कर दिया गया. हाल ही में, फिल्म अभिनेत्री के एक कार्यक्रम को भी कट्टरपंथियों ने जबरन रुकवा दिया था. इन घटनाओं से यह साफ हो रहा है कि बांग्लादेश धीरे-धीरे तालिबान शासित अफगानिस्तान की राह पर बढ़ रहा है.

महिला फुटबॉल पर क्यों बिफरे कट्टरपंथी?

बांग्लादेश के जायपुरहाट जिले में प्रस्तावित महिला फुटबॉल मैच को लेकर कट्टरपंथी सड़कों पर उतर आए. नमाज के बाद मदरसा छात्रों समेत सैकड़ों कट्टरपंथियों ने तिलकपुर रेलवे स्टेशन के पास प्रदर्शन किया. इस दौरान उन्होंने महिलाओं के खेल को अनैतिक करार दिया और आयोजकों को चेतावनी दी कि यदि भविष्य में इस तरह के आयोजन हुए तो गंभीर परिणाम भुगतने होंगे. बता दें कि कट्टरपंथी यही नहीं रुके, उन्होंने फुटबॉल मैदान में जमकर तोड़फोड़ की. इतना ही नहीं, इस पूरी घटना का फेसबुक पर सीधा प्रसारण भी किया गया ताकि यह संदेश जाए कि महिलाओं के किसी भी सार्वजनिक कार्यक्रम को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

टकराव में घायल हुए लोग

आपको बता दें कि हकीमपुर उपजिला में आयोजित एक अन्य महिला फुटबॉल मैच पर भी चरमपंथियों ने हमला बोला. विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों और आयोजकों के बीच संघर्ष हुआ, जिसमें करीब एक दर्जन लोग घायल हो गए. यह घटना दर्शाती है कि बांग्लादेश में अब महिलाओं को खेल और सार्वजनिक कार्यक्रमों में भाग लेने से रोका जा रहा है.

कट्टरपंथियों के आगे बेबस सरकार

बता दें कि जब बांग्लादेश में विपक्षी प्रदर्शनकारी सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरते हैं, तो प्रशासन उन पर कड़ी कार्रवाई करता है. लेकिन जब कट्टरपंथी महिलाओं के अधिकारों का हनन करते हैं, उनके सार्वजनिक आयोजनों को जबरन बंद कराते हैं, तो सरकार चुप्पी साध लेती है. यह दोहरा रवैया अब सवाल खड़े कर रहा है कि क्या बांग्लादेश तालिबानी मानसिकता की ओर बढ़ रहा है? महिलाओं के फुटबॉल मैच को इस्लाम विरोधी बताना और इसे रोकने के लिए हिंसा का सहारा लेना यह संकेत देता है कि बांग्लादेश में महिलाओं के अधिकार खतरे में हैं.

क्या बांग्लादेश अफगानिस्तान बनने की राह पर है?

हालांकि इन घटनाओं से यह साफ हो रहा है कि बांग्लादेश में महिलाओं के अधिकारों का दमन किया जा रहा है. चरमपंथियों को रोकने के बजाय सरकार उनकी कतार में खड़ी नजर आ रही है. यह स्थिति आने वाले दिनों में बांग्लादेश को अफगानिस्तान जैसे हालात में धकेल सकती है. बांग्लादेश में महिलाओं के लिए हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं. कट्टरपंथी ताकतें अब महिला खेल आयोजनों तक को बंद कराने पर आमादा हैं. सरकार की निष्क्रियता इस स्थिति को और भयावह बना सकती है. यदि चरमपंथी ताकतों को रोका नहीं गया, तो आने वाले समय में बांग्लादेश में महिलाओं के लिए सामान्य जीवन भी कठिन हो सकता है.