'हम अमेरिकन नहीं बनना चाहते', डोनाल्ड ट्रंप को खुले शब्दों में ग्रीनलैंड के PM ने चेताया, क्या होगा महाशक्ति का अगला कदम?
प्रधानमंत्री एगेडे ने यह भी कहा कि ग्रीनलैंड पिछले 80 वर्षों से अमेरिका के साथ सुरक्षा मामलों में सहयोग कर रहा है और वर्तमान समय में वह अमेरिका के साथ बातचीत करने के लिए तैयार हैं ताकि आर्कटिक क्षेत्र में अमेरिकी हितों की सुरक्षा की जा सके.
ग्रीनलैंड, जो डेनमार्क का स्वायत्त क्षेत्र है, ने हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बयान के बाद अपनी स्थिति स्पष्ट की. ग्रीनलैंड के प्रधानमंत्री म्यूटे एगेडे ने कहा कि उनका देश किसी भी तरह से अमेरिकी नहीं बनना चाहता. ग्रीनलैंड के भविष्य का निर्णय ग्रीनलैंड के लोग ही करेंगे. यह बयान अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा ग्रीनलैंड को अमेरिकी नियंत्रण में लाने की बात करने के बाद सामने आया.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2025 के पहले सप्ताह में ग्रीनलैंड के बारे में कुछ बयान दिए थे, जिसमें उन्होंने कहा था कि ग्रीनलैंड के पास एक सामरिक स्थिति है और उसे अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जरूरी बताया. उन्होंने यह भी कहा कि डेनमार्क को ग्रीनलैंड को बनाए रखने के लिए बहुत पैसा खर्च करना पड़ता है, और उन्हें उम्मीद है कि डेनमार्क ग्रीनलैंड को अमेरिका के हाथों में देने के लिए सहमत होगा.
हालांकि, ग्रीनलैंड और डेनमार्क के अधिकारियों ने इस मुद्दे पर अपनी स्थिति स्पष्ट की. प्रधानमंत्री म्यूटे एगेडे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "हम ग्रीनलैंडवासी हैं, हम अमेरिकी नहीं बनना चाहते. हम डेनमार्क के भी नहीं बनना चाहते. ग्रीनलैंड का भविष्य ग्रीनलैंड के लोग ही तय करेंगे."
ग्रीनलैंड और अमेरिका के रिश्ते
ग्रीनलैंड और अमेरिका के बीच सुरक्षा मुद्दों पर लंबे समय से सहयोग रहा है. ग्रीनलैंड में एक अमेरिकी सैन्य अड्डा है, जो आर्कटिक क्षेत्र में एक रणनीतिक स्थान पर स्थित है. जैसे-जैसे जलवायु परिवर्तन के कारण बर्फ़ पिघल रही है और नए शिपिंग मार्ग खुल रहे हैं, इस क्षेत्र की महत्ता बढ़ गई है. इसके अलावा, ग्रीनलैंड में बहुत सारे खनिज और तेल के भंडार भी हैं, लेकिन तेल और यूरेनियम की खोज पर प्रतिबंध है.
डेनमार्क ने क्या कहा?
ग्रीनलैंड के साथ-साथ डेनमार्क ने भी ट्रंप के बयान पर चिंता व्यक्त की. डेनमार्क के विदेश मंत्री लार्स लोके रासमुसेन ने कहा कि कोई भी देश दूसरों के देश पर कब्जा नहीं कर सकता. उन्होंने यह भी कहा कि हमें ऐसे वैश्विक आदेश का निर्माण नहीं करना चाहिए जहां बड़े देश अपनी इच्छाओं को लागू कर सकें.
डेनमार्क के प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिक्सन ने भी ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद यूरोप के लिए नई वास्तविकताओं का सामना करने की बात की. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि डेनमार्क को अमेरिका के साथ अपने रिश्ते बनाए रखने की आवश्यकता है, क्योंकि यह द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से डेनमार्क का सबसे महत्वपूर्ण संबंध है.
क्या होगा अमेरिका का अगला कदम?
अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि ग्रीनलैंड के पीएम के बयान के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का अगला कदम क्या होगा? राष्ट्रपति की शपथ लेने के तुरंद बाद डोनाल्ड ट्रंप ने पनामा नहर और ग्रीनलैंड को अमेरिका में मिलाने की बात कही थी.