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India Daily

'भगवान चाहे तो...', ट्रंप के समर्थन के बीच 'डिफेंडर ऑफ द फादरलैंड डे' पर बोले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने रविवार को "डिफेंडर ऑफ द फादरलैंड डे" के अवसर पर आयोजित एक भव्य समारोह में रूसी सैनिकों को सम्मानित किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि ईश्वर और भाग्य ने उन्हें और उनकी सेना को रूस की रक्षा का मिशन सौंपा है.

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Edited By: Garima Singh
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Courtesy: x

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने रविवार को "डिफेंडर ऑफ द फादरलैंड डे" के अवसर पर आयोजित एक भव्य समारोह में रूसी सैनिकों को सम्मानित किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि ईश्वर और भाग्य ने उन्हें और उनकी सेना को रूस की रक्षा का मिशन सौंपा है.

उन्होंने यूक्रेन में युद्ध लड़ रहे रूसी सैनिकों से कहा, 'ईश्वर ने ऐसा चाहा यदि मैं ऐसा कह सकता हूं. रूस की रक्षा करना कठिन तो है, लेकिन यह सम्माननीय भी है. यह जिम्मेदारी हमारे और आपके कंधों पर है." पुतिन का यह बयान ऐसे समय आया है जब रूस के यूक्रेन पर आक्रमण को तीन साल पूरे होने वाले हैं. इस संघर्ष को द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यूरोप का सबसे घातक सशस्त्र संघर्ष माना जा रहा है।

रूसी सैनिकों को 'रूस के हीरो' सम्मान

रूस में डिफेंडर ऑफ द फादरलैंड डे को बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है, और इस अवसर पर राष्ट्रपति पुतिन ने रूस के हीरो गोल्ड स्टार पदक से सैनिकों को सम्मानित किया. क्रेमलिन द्वारा जारी एक वीडियो संदेश में पुतिन ने रूस के सैनिकों की वीरता और बलिदान की सराहना करते हुए कहा, "आज, हमारे बहादुर सैनिक अपनी जान जोखिम में डालकर, साहस और दृढ़ता के साथ मातृभूमि, राष्ट्रीय हितों और रूस के भविष्य की रक्षा कर रहे हैं."

रूस की सैन्य शक्ति को और मजबूत करने का संकल्प

राष्ट्रपति पुतिन ने अपने संबोधन में यह भी स्पष्ट किया कि रूस अपनी सैन्य क्षमताओं को लगातार मजबूत करता रहेगा. उन्होंने कहा, "हम अपनी सेना और नौसेना की लड़ाकू क्षमताओं में सुधार करना जारी रखेंगे. हमारी प्राथमिकता रूस की सुरक्षा और संप्रभुता की गारंटी देना है, और इसके लिए सेना की युद्ध-तत्परता को बनाए रखना अनिवार्य है." उन्होंने दोहराया कि रूस भविष्य में भी अपनी सैन्य रणनीति को सशक्त बनाएगा और राष्ट्रीय सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देगा.

यूक्रेन युद्ध पर पुतिन का अडिग रुख

रूस के आक्रमण के तीन वर्ष पूरे होने के बावजूद, पुतिन के रुख में कोई बदलाव नहीं दिखता. उनका यह भाषण संकेत देता है कि रूस अपने सैन्य अभियानों को और विस्तार दे सकता है और यूक्रेन में युद्ध को एक "दिव्य मिशन" के रूप में प्रस्तुत कर रहा है. यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में रूस और पश्चिमी देशों के बीच यह तनावपूर्ण स्थिति किस दिशा में बढ़ती है.